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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २ २२७ तो अन्य कुछ लोग प्रभुजी को ३ खमासमण देते तो हैं मगर उसमें भी शास्त्रोक्त विधि के अनुसार दो हाथ, दो जानु और ललाटसे जमीं का स्पर्श करते हुए पंचांग प्रणिपात करनेवाले कितने होंगे ? - कुछ लोग शायद प्रथम बार खमासमण के समय पंचांग प्रणिपात करते होंगे मगर बाकी के दो खमासमण देते समय खड़े होने की तकलीफ शरीर को नहीं देते ! ....तब दूसरी ओर वृद्धावस्था में भी प्रत्येक खमासमण के समय खड़े होकर पंचांग प्रणिपात पूर्वक परमात्मा को पंद्रह साल में करोड़ बार वंदना करनेवाले भोगीलालभाई को ( हाल उम्र वर्ष ८० ) वंदन करने का दिल किसका नहीं होगा ? कच्छ- - गोधरा गाँव में वि.सं. २०२६ में परम तपस्वी, तत्त्वज्ञा पू. सा. श्री जगतश्रीजी म.सा. और उनकी परम विनीत सुशिष्या, योगनिष्ठा पू. सा. श्री गुणोदयश्री जी म.सा. आदि का चातुर्मास हुआ था, तब उनके सदुपदेश से सुश्रावक श्री भोगीलालभाई को 'वंदना से पाप निकंदना' का महत्त्व समझ में आया, और उनकी प्रेरणा से धर्म में उत्तरोत्तर आगे बढ़ते हुए भोगीलालभाई ने निम्नोक्त प्रकार से आश्चर्यप्रद, अनुमोदनीय आराधना की है और आज भी कर रहे हैं। आराधना का प्रारंभ किया तब उनकी उम्र ५१ सालकी थी । (१) 'श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथाय नमो नमः' इतना खड़े खड़े बोलकर बाद में पंचांग प्रणिपात पूर्वक प्रभुजीको खमासमण देते हुए १५ साल में कुल १ करोड़ खमासमण देकर परमात्मा को वंदना की है। अपनी आत्मा को लघुकर्मी बनाई है । रातको २ बजे उठकर वे खमासमण देते थे । एक साथ ५०-१०० खमासमण देने के बाद थोड़ा हलन चलन करते थे । फिर आगे खमासमण देते थे । रोज सुबह में तथा रातको कुल मिलाकर करीब ३ हजार खमासमण देते थे। १ घंटे में करीब १ हजार खमासमण देते थे ! - (२) उपरोक्त मंत्र बोलकर, बैठे हुए, दो हाथ जोड़कर, मस्तक झुकाकर ३ साल में १ करोड़ बार परमात्मा को वंदना की है (३) उभड़क आसन में बैठकर, उपरोक्त मंत्र बोलकर, दो हाथ जोड़कर, शिर झुकाकर ५ वर्षमें १ करोड बार परमात्मा को वंदना की है ।
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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