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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २१५ हररोज रात को ९ बजे से लेकर सूर्योदय पर्यंत करीब ९ घंटे तक पद्मासन में बैठकर सामायिक पूर्वक नवकार महामंत्र का जप और अरिहंत परमात्मा का ध्यान धरते हुए इस सुश्रावक को देखकर भगवान महावीर स्वामी के अनन्य भक्त पुणिया श्रावक एवं आनंद श्रावक इत्यादि की स्मृति सहज रूपसे आ जाती है । - २ आज तक २ लाख से अधिक सामायिक करने वाले इन श्राद्धवर्य को प्रतिदिन १५ सामायिक करने का नियम है । सूर्यास्त के आसपास दैवसिक प्रतिक्रमण करने के बाद केवल २ घंटे तक शरीर को विश्रांति देकर पुनः ९ बजे से पद्मासन पूर्वक जप - ध्यान में बैठ जाते हैं । अहो ! कितनी अप्रमत्तता ! देव दुर्लभ मनुष्य भवकी एक एक क्षण का कैसा जागृति पूर्वक सदुपयोग ! 'समयं गोयम मा पमायए' प्रभु महावीर स्वामी के इस उपदेश को कैसा आत्मसात् किया होगा ?... पर्युषण के ८ दिन एवं प्रत्येक चतुर्दशी आदि में पौषध जैसे पवित्र अनुष्ठान द्वारा आत्म गुणों की पुष्टि करने वाले इन सुश्रावक श्री ने आज तक २००० से भी अधिक पौषध किये हैं । हररोज ५००० नवकार महामंत्र (५० पक्की माला) का जप करनेवाले इस आराधक रत्नने आज तक ५ करोड़ से अधिक नवकार जप द्वारा पंच परमेष्ठी भगवंतों को प्रणिधान पूर्वक प्रणाम करके अपनी आत्मा को नम्रता से अत्यंत भावित कर दिया है । (यह पढकर हमें भी कम से कम प्रतिदिन १ पक्की नवकारवाली का जप करने का दृढ संकल्प करके दलिचंदभाई की यथार्थ अनुमोदना करनी चाहिए ) अठ्ठम से वर्षीतप, पारणे में ठाम चौविहार एकाशन पूर्वक वर्षीतप, कुल २५ वर्षीतप १० अठ्ठाई तप, सिद्धि तप, श्रेणि तप, चत्तारि अठ्ठ दश दोय तप, धर्मचक्र तप, स्वस्तिक तप, इत्यादि दीर्घकालीन बड़ी तपश्चर्याओं के साथ कुल ६००० से अधिक उपवास, हजारों की संख्यामें आयंबिलएकाशन, २२ वर्ष की वय से बियासन, मात्र ६ साल की उम्र से लेकर प्रतिदिन शामको चौविहार का पच्चक्खाण, केवल १६ साल की उम्रसे प्रतिदिन उबाला हुआ अचित पानी पीना इत्यादि अत्यंत अहोभावप्रेरक
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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