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________________ २१४ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ है तब तक ही ऐसी प्राकृतिक भेंट टिक सकती है । _ वि. सं. २०५१ में हमारा चातुर्मास बड़ौदामें कच्छी भवनमें था तब रतिलालभाई का अच्छा परिचय हुआ था । ऐसी निःस्वार्थ सेवा के द्वारा हजारों मनुष्यों की शुभेच्छाएँ एवं महात्माओं के शुभाशीर्वाद पाकर रतिलालभाई अल्प भवों में भव रोग से मुक्ति को प्राप्त करें यही शुभेच्छा । शंखेश्वर में आयोजित अनुमोदना समारोहमें रतिलालभाई भी उपस्थित हुए थे । उनकी तस्वीर इस पुस्तक में पेज. नं. 18 के सामने प्रकाशित की गयी है। पता : रतिलालभाई पदमसी पनपारीया १ B, वैभव नगर, संगम सोसायटी के पीछे . हरणी रोड़, बड़ौदा (गुजरात) पिन : ३९००२२ फोन : ०२६५-६३५८८/५५६०८२ (ओफिस) [प्रतिदिन १ घंटे पद्मासनमें नवकार महामंत्रका जप | करते हुए अप्रमत्त "श्रावक शिरोमणि" दलीचंदभाई धर्माजी THEHREE अप्रमत्तता में अनुपम और बेमिसाल आराधना द्वारा कर्म दलिकों का दलन करने वाले "श्रावक शिरोमणि" श्री दलीचंदभाई की अद्वितीय धर्मचर्या जानकर मुनिवर भी उनकी बार-बार प्रशंसा किये बिना रह नहीं सकते हैं। कर्मसाहित्यनिष्णात, सुविशुद्ध संयमी प.पू.आ.भ. श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी म.सा. के सत्संग से वे विशेष रूपसे धर्ममय जीवन जीते हैं। आज ८७ साल की उम्र में भी वे जो अदभूत आराधना करते हैं उसे जानकर किसी भी मनुष्य का मस्तक अहोभाव से झुके बिना रह नहीं सकता है।
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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