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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? सुदी चौदस से शुरू हुए उपधान तप के दौरान बुधवार दि. 26.2.75 को सुबह 9.00 बजे से 10.15 बजे तक श्री नमस्कार महामंत्र के यथार्थ | गौरव की पहचान कराने वाले झनझनाहट भरे शब्दों वाली रोमांचक शैली में नमस्कार महामंत्र के प्रभाव से स्वयं प्रभुशासन के आराधक किस प्रकार बने? उसकी जानकारी दी। उसका लगभग अक्षरशाः बयान यहां आराधक पुण्यवान आत्माओं की श्रद्धा के स्थिरीकरण के शुभ आशय से व्यवस्थित संकलन कर राजकोट वाले श्री शांतिलाल मेहता ने पेश किया है।) - सम्पादक (अखण्ड ज्योत) मैं देवों को भी दुर्लभ श्रावक जीवन की यथार्थ सफलता, विरतिधर्म की यथासंभव आराधना द्वारा देव-गुरु कृपा से पिछले दस-बारह वर्ष से कर के सौभाग्यशाली बना हूँ। इससे पूर्व मेरे जीवन को अभक्ष्य भोजन, विषय-विलासिता और शरीर के ममत्व के विषम अनिष्ट आदि भयंकर उन्मार्ग से बचाने वाले, तारण-तारणहार, अनंत उपकारी, पंच परमेष्ठी भगवंतों के अनंत प्रभाव से भरपूर, शाश्वत, अनादि सिद्ध श्री नवकार महामंत्र की मेरे जीवन में बनी सत्य घटना इस प्रकार है - धर्मान्ध-झनूनी मुस्लिम शासन काल में धर्मान्धता और कूट राजनीति के भ्रमरजाल में फंसे उस समय के भारत में एक-छत्रीय सल्तनत के अधिपति (जिसने चित्तौड़ की धर्मान्धता भरी भयंकर लड़ाई में साढ़े चमौतर मण जनोईयों का ढेर हो जाए इतने हिन्दुओं का नाश किया, और जिसके अत्याचारी आक्रमण से बचने के लिए सैंकड़ों सतियों ने शीलव्रत की रक्षा हेतु अग्नि में शरीर को समर्पित कर भारत की अद्भुत कीर्ति में अभिवृद्धि की, जो सवा सेर चिड़ियों की जीभों का नाश्ता करता था, ऐसे भयंकर हिंसा में रचे पचे हुए) अकबर बादशाह को जिन्होंने अपने त्याग-तप-संयम के बल पर प्रभु शासन की अविचल नींव समान जयणा के मार्ग की ओर मोड़ा और वर्ष में छः माह हिंसा बंद करवाने का फरमान जारी करवाया, इतना ही नहीं, किन्तु उसको भी लगभग मांसाहार के त्याग द्वारा अंग्रेजी एवं बंगाली साहित्यकारों की दृष्टि में लगभग जैन 25
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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