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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? -- है? कर्मबंध का प्रमुख कारण अपने कर्तृत्व का अभिमान है। कर्तृत्वाभिमान से मुक्त होने में दुःख और प्रतिकूलता सहायक होती है। सामान्य रूप से मनुष्य को जब सफलता मिलती है तब वह उसमें अपने कर्तृत्व को देखता है,किन्तु दुःख मनुष्य को स्वकर्तृत्व के अभिमान से बचाता है। परिणामस्वरूप मोक्ष मार्ग के पथिक के लिए दुःख भी हितकर बन जाता है।) लेखक-स्व.पू. मुनिराज श्री अमरेन्द्रविजयजी म.सा. (वि.सं.2045 में हमारा चातुर्मास जामनगर में हुआ था। तब स्व. गुलाबचन्दभाई के निवास स्थान की मुलाकात ली थी। वर्तमान में उनके परिजन मुम्बई-मलाड़ (पूर्व) में श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ की वाड़ी में रहते हैं। गुलाबचन्दभाई का स्वर्गवास वि.सं. 2037 में हुआ। अर्थात् केन्सर के बाद भी वे 36 साल तक जीवित रहे।-संपादक) || झिलमिलाता जीवनदीप जगमग हो उठा | इंग्लेण्ड की धरती पर घटित श्री नमस्कार महामंत्र के प्रभाव की सत्य घटना ("अखण्ड ज्योत" पुस्तक में से यह घटना पढ़ने के बाद डॉ. सुरश भाई झवेरी का पता प्राप्त करके उनके साथ पत्र व्यवहार किया। उनके वक्तव्य का आयोजन दादर, नालासोपारा तथा डोम्बीवली में हमारी निश्रा में हुआ। वह सुनकर कई आत्माएं नवकार महामंत्र को नियमित आराधना में जुड़ गई। प्रथम बार गुजराती में जब इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया, तब वे "अखिल भारतीय हिंसा निवारण संघ" के मानमंत्री के रूप में अनुमोदनीय सेवा कर रहे थे। हाल में वे सुरत रहकर जीवदया के कार्य कर रहे हैं। यहां "अखण्ड ज्योत" में से उनका वक्तव्य उद्धृत किया जा रहा है। वहाँ उनकी पत्नी का नाम "शांता" के बदले "मंजुला" होने के कारण नाम में सुधार किया गया है। - सम्पादक) _ (नमस्कार महामंत्र ने जिनके जीवन को भौतिकवाद की दिशा से उच्चतम आध्यात्मिकता की ओर मोड़ा, वे हदय रोग के विशेषज्ञ डॉ. झवेरी (M.D.) ने अहमदाबाद खानपुर (माकुभाई सेठ का बंगला) में पोष
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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