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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? . सामने देख रही थी। हमें ध्यान से देखने पर पता लगा कि यह वही चिड़िया है। उसका आनन्द देखकर हमारा प्रयत्न सफल होने का अनुभव किया तब उसका कलरव और मीठा लगने लगा। लेखक-जितेन्द्र नानजी छेडा (रायणवाले)घाटकोपर महामन्त्र का अद्भुत प्रभाव ___ भावनगर के एक भाई, जिसकी रग रग में नवकार समाया हुआ है, वह एक बार वसूली करने एक छोटे गाँव गये थे। शाम तक घर पहुंच जाना ऐसा इनका सिद्धान्त था। नहीं पहुंचे तो भाई राह देखते रहते हैं। भाइयों का ऐसा प्रेम था। एक दिन वे वसूली कर स्टेशन पर आये तब गाड़ी निकल गयी थी। उन्हें मन में लगा कि चाहे कैसे भी हो, रात तक घर पहुंच जाऊँगा। 12000 रूपये साथ थे। उन्होंने |पैदल चलकर जाने की तैयारी की तो एक शंकास्पद आदमी पीछे -पीछे आने लगा। किन्तु उनके मुख में तो नवकार मन्त्र था, इसलिये उन्हें पीछे आ रहे आदमी का ध्यान नहीं था। वहाँ जैसे अन्तर में से आवाज आयी, "तेरे साथ में आदमी चलता है, वह अच्छा नहीं है।" वह तुरन्त सचेत हो गये। नवकार का रटन तो चालु ही था। किन्तु पैर में कौन जाने ऐसी स्फूर्ति आयी कि सूर्य का प्रकाश था और भावनगर पहुंच गये। वह आदमी सोचता ही रहा। उज्जड़ स्थान आये, अन्धेरा होगा किन्तु ऐसा कोई मौका उसे मिल ही नहीं सका। हमारे साध्वीजी म.सा. को नवकार मन्त्र तथा प.पू. आ.भ. श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म.सा. के वासक्षेप से व्यंतरिक उपद्रव शान्त हो गया था। पेट में रही मैली व्यंतरिक वस्तुएं उल्टी होकर बाहर आ गयीं और साध्वीजी म.सा. स्वस्थ हो गये थे। एक बार हम छ: कोस की प्रदक्षिणा घूमकर नीचे आये, तब रास्ते में पीछे से एक बैलगाडी आयी। बेल का पैर लगा और साध्वीजी म. गिर 268
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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