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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार?
गया, शान्त हो गया। हम लगभग संध्याकाल के समय सही - हाल में किनारे पर पहुंचे। फिर वहाँ से जामनगर, राजकोट, पालीताणा यात्रा पर गये और सिद्धाचल तीर्थनायक दादा आदीश्वर के दर्शन किये।
बोलो नवकार मन्त्र की जय ।
लेखक - श्री पदमशीभाई खीमजी छेड़ा, रोड - 4
14, नवयुग सोसायटी,
विले पार्ले, जुहु स्कीम, मुम्बई - 56 फोन - 570576
चिड़िया को बचाने वाला नवकार
रविवार की शान्त सुबह थी। घर के सभी लोग बैठे थे। बाहर से आ रहा चिड़ियाओं का कलरव वातावरण में उत्साह ला रहा था। इतने में एक चिड़िया ने घर में प्रवेश किया, और उड़ते-उडते पंखे से टकराकर क्षणार्ध में कुछ सोचें, उससे पहले पंखे से घायल होकर नीचे गिरी । हमें ध्यान से देखने पर पता चला कि उसका आँख और माथे के बीच के भाग में माँस का पिंड बाहर लटकता था। उसका श्वास अवरूद्ध हो गया था।
मृत्यु के साथ इस जीव के करुण संघर्ष के हम सब साक्षी थे। हमने जल्दी से रूई की गादी बनाकर चिड़िया को उसके उपर रखकर उसके घाव को साफ कर, ईश्वर उसको जीवन एवं शान्ति दे, ऐसी भावना सहित प्रार्थना की।
हम सभी ने नवकार मन्त्र का जाप शुरू किया। तीन नवकार बोलते ही चिड़िया की हिल-डुल प्रारम्भ हुई। इससे हमारे उत्साह में वृद्धि के साथ जाप में ज्यादा उत्साह आया। कुछ ही क्षणों में चिड़िया धीरे-धीरे चलकर सोफे के नीचे बैठ गयी। हमने थोड़े दाने उसके पास रखकर जाप चालु ही रखा। वह लगभग पौने घन्टे के बाद पंख फड़फड़ाकर उड़ गयी।
थोड़े दिन बाद एक चिड़िया खिड़की पर बैठकर चीं चीं कर रही थी और जैसे हमारा आभार मान रही हो वैसे अपलक नेत्रों से हमारे
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