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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - | गये। गाड़ी ऊपर से चली गयी। दण्ड टूट गया किन्तु नवकार मन्त्र और | गिरिराज के प्रभाव से साध्वीजी को कुछ भी चोट नहीं आयी। लेखिका-प.पू. अचलगच्छाधिपति के आज्ञानुवर्तिनी पू. सा.श्री ज्योतिष्प्रभाश्रीजी म.सा. भव जल पार उतारे) आज से करीब 20 वर्ष पूर्व की घटना है। मैं और मेरा छोटा भाई हमारे चाचा के साथ वज्रेश्वरी घूमने गये। सुबह के समय हम पकड़ा-पकड़ी खेलने लगे। अचानक मेरा भाई चिल्लाने लगा, "बचाओ | बचाओ। मैं पानी में डूब रहा हूँ।" मैं जब उसके पास गया तब उसने | कहा कि, "यह तो मैं मजाक कर रहा था।" मैंने उसे डांटा कि,"कभी पानी की मजाक नहीं करनी चाहिये। अगर कभी सचमुच ऐसा होगा तब | शायद गडरिये की तरह 'जब शेर आया तो कोई नहीं आया' जैसी हालत हो जाएगी।" बस थोड़ी ही देर में अचानक वह वास्तव में पानी में डूबने लगा। तब मैं भी रेत में धंस गया। क्या करना? समझ में नही आ रहा था। अचानक माता-पिता के सिंचित संस्कार मुझे याद आये। मेरी माता हमको प्रतिदिन सोने से पहले अमरकुमार की सज्झाय सुनाती और नवकार | महामंत्र के बार में समझाती थी। भाई को लगा, अब मैं जा रहा हूँ। उसने नवकार महामंत्र का स्मरण किया। उसके नाक में पानी घुस गया। अन्तिम श्वास जैसी स्थिति थी। अचानक हमारी चीख-चिल्लाहट से कुंड के किनारे पर कपड़े धोते हुए एक जैनेतर भाई की नजर पड़ी। उसने एक क्षण भी विलम्ब किये बिना नदी में कूद लगायी और नीचे से भाई को पकड़ लिया। उलटा सुलाकर मसाज कर मुंह में से पानी निकलवाया। डॉक्टर को बुलवाया। उसे नया जन्म मिला। इस प्रकार हम सभी ने नवकार मंत्र के प्रत्यक्ष प्रभाव का अनुभव किया। वास्तव में जिस नवकार में भवजल में से पार उतारने की अचिंत्य 269
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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