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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - कच्छ-गोधरा में दरबारी स्कूल में पढ़ता था,उस समय वाहन-व्यवहार बहुत कम था। कच्छ अबड़ासा के तीर्थ सुथरी, कोठारा, नलिया आदि स्थानों पर जाना होता, तो बैलगाड़ी से जाना पड़ता और रातें बीतानी पड़ती थीं। उस समय पालीताणा की यात्रा करने जाने हेतु कोई सरल वाहन मार्ग नहीं था। में लगभग 45 वर्ष पूर्व की घटना का वर्णन कर रहा हूँ। एक बार मैं अपने बड़े भाई-भाभी के साथ पालीताणा की यात्रा हेतु निकला था। हम गोधरा से मांडवी तक बैलगाड़ी में आये। बाद में मांडवी बन्दरगाह से ओखा जाने के लिए जहाज में बैठे। लगभग हम पच्चीस आदमी होंगे ऐसा मेरा अन्दाज है। उस समय पालीताणा जाने के लिये ओखा, जामनगर, राजकोट होकर जाना पड़ता था। सामान्य रूप से मांडवी से ओखा जाने के लिए बड़े जहाज में करीब चार घन्टे लगते थे। हम जल्दी सवेरे निकले थे। जब मध्य समुद्र में आये तब हवा से समुद्र में तूफान आया और हमारा जहाज हिलोरे खाने लगा। जैसे-जैसे ओखा के पास आते गये, वैसे-वैसे तूफान बढ़ता गया और तरंगें दस से पन्द्रह फीट ऊपर उछलने लगीं। सागर का तांडव नृत्य देखकर हमारे प्राण अद्धधर हो गये थे। जैसे इस लहर के साथ या दूसरी लहर के साथ समुद्र के अन्दर समा जाएगें, ऐसा लगने लगा। हम सभी इतने भयभीत हो गये थे कि, जिसकी कल्पना भी नहीं की जाये। तब देवयोग से 'नमस्कार महामन्त्र' और महान तीर्थाधिराज शत्रुजय के दादा आदीश्वर भगवान याद आ गये, जिनके हम दर्शन करने जा रहे थे। हम सभी ने मिलकर मन्त्र की तेज आवाज में धून मचायी। सागर का ताण्डव नृत्य तो चल रहा था। अब इसके साथ हमारे मन्त्र का संगीत मिला। जैसे सागर को भी इसमें आनन्द आ रहा हो... धीरे-धीरे उसका नृत्य शान्त होने लगा। दूसरे सहायक चालक भी अपने से हो सके, इतना सब कर रहे थे। सढ (जहाज के वस्त्र)की दिशायें बदलाते गये। और ओखा बन्दरगाह की बत्ती दिखाई दी। हम किनारे के पास पहुंचे। हमारी धून चालु रही और आखिर हमारी जीत हुइ। सागर का तांडव नृत्य 'नमस्कार महामन्त्र' के प्रभाव के आगे झुक 266
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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