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________________ • जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? हंसते खेलते बालकों के बीच गंभीर प्रकृति के जयराम भाई हलके फुलके बने रहते। वह भारतीय संस् ति, भारतीय जीवन की परम्पराएं, ईश्वर के प्रति श्रद्धा, प्रार्थना - स्तुति, मंत्रपाठ ऐसे अनेकों गंभीर विषयों के साथ विचित्र पहेलियाँ, विनोदी चुटकले एवं गणित के खेलों की चर्चा भी करते रहते। वह चलता - घुमता एक वर्ग ही हो ऐसे शाला से आते जाते इन सभी बातों का ज्ञान इन बच्चों को जाने-अनजाने में ही देते थे। आज तो शायद ही देखने को मिले ऐसी गहरी आत्मीयता शिक्षक एवं विद्यार्थियों के इस टोले के बीच जुड़ी हुई थी। जयरामभाई अपने विषय के निष्णात थे ही, लेकिन धर्म के प्रति अनुपम अनुराग के कारण इन्होंने धर्म चिन्तन की अलग-अलग शाखा प्रशाखाओं का वांचन किया था। उसमें मंत्र तंत्र एवं योग | आराधनाओं का भी समावेश था। इतना ही नहीं, हिन्दु सन्तों, जैन साधुओं एवं मुसलमान पीर- फकीरों के प्रति इनका एक समान आदर था। इन सभी बातों के संस्कार बालकों के ऊपर सतत श्रवण से दृढ़ होते जाते थे। ऐसे ही एक दिन की बात है। बालकों का बड़ा टोला जयराम भाई के साथ-साथ हंसी मजाक करता सुबह 10 बजे के पास घरों के बीच से गुजर रहा था। वहाँ सामने कंधे पर पंलग उठाकर आठ दस लोगों का टोला इनको मिला। कौतूहल से लड़के उंची गर्दन करके खड़े हो गये । किसी आदमी को साँप ने काटा था। जहर चढ़ने के बाद वह बेहोश हो गया था । उसका जहर उतारने के लिए उसके सगे-सम्बन्धी किसी प्रसिद्ध गारूड़ी के पास उसे पलंग पर डालकर ले जा रहे थे। 44 एक लड़के ने जयरामभाई से अचानक प्रश्न किया, 'काका! गारूड़ी जहर किस प्रकार निकालता होगा?" लड़के जयरामभाई को काका कहते थे। दूसरे एक बड़े लड़के ने अपना ज्ञान दर्शाने के लिए, काका बोले उससे पहले ही जबाब दिया, 'मंतर मारकर ।' सभी लड़कों के कान सतर्क हो गये, काका क्या कहते हैं? किन्तु काका कुछ ही नहीं बोले । इनके मौन से जैसे बदला चुकाना हो, वैसे प्रश्न पूछने वाले लड़के ने 254
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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