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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - 70 सांप का जहर उतर गया " (दिनांक 22.7.79 के "संदेश' दैनिक पत्र में 'अगोचर मननी अजायबी' विभाग में प्रकाशित हुए उपरोक्त लेख का कटिंग श्री मणिलालभाई पी.मेहता (कांदीवली-मुम्बई) ने भेजा, जो यहां साभार पेश किया जा रहा है- सम्पादक) बहुत वर्ष पहले की बात है। तब जयराम भाई एक छोटे से गांव की शाला में शिक्षक थे। अपने गाँव से चार मील की दूरी पर आयी इस गाँव की शाला उन्हें इसलिए अनुकूल लगी कि अपने गाँव के घर में ही रहकर वे नौकरी के लिए आना जाना कर सकते थे। दो रसोड़ों के स्थान | पर एक ही होना, यह लाभ भी लेने जैसा था। बाप-दादाओं की समृद्ध परम्परा में एकाएक पलटा आया, इस कारण जयराम भाई को ऐसा गणित बिठाना पड़ा था। बाकी यदि वह रिद्धि सुरक्षित रही होती या अपने छोटे-छोटे भाइयों को पढ़ाने की जिम्मेदारी न होती तो इस अकेले आदमी को ऐसे आंकड़ों में रस कहां से होता! __ जयरामभाई जहां नौकरी करने जाते थे, उस शाला में इनके गांव के लड़के-लड़कियां भी पढ़ने जाते थे, इसलिए जाते एवं आते इनके साथ एक बड़ी वानर सेना साथ में रहती। बोरड़ी को हिलाकर बोर खाता-खाता या झाड़ पर हा-हू करता सामने दांत निकालता यह वृन्द जयराम भाई के | निर्देशन में शाला आता-जाता था। इस टोले में पांचवी कक्षा के बच्चों से लेकर ग्यारहवीं कक्षा के मुंछ के बाल उगे न हों ऐसे और आधी पेन्ट के गणवेश में शरमाते संकुचाते लड़के भी होते थे। जयरामभाई को भी इस हा-हू करते लड़कों की टोली के बीच आनन्द आता, उन्हें इसमें अपना बालपन ऐसा का ऐसा बिना मुरझाया हरा भरा लगता था। जयरामभाई जाते और आते लड़कों को हंसी मजाक में व्यवहार के तरीके, आदि की बातें करते। किसी दिन संस्त के श्लोकों की रिमझिम रहती, तो किसी दिन अन्ताक्षरी का खेल खेला जाता। 253
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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