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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? MBERS अन्यायी लेख का अन्त आया! वर्षों पहले कच्छ-भुजपुर में किसी भी सम्प्रदाय में कहीं भी चातुर्मास न हो, ऐसा ताम्बे के पत्र पर लेख था। यह बात 1977 में आठ कोटि मोटी पक्ष के जेतबाई स्वामी के मन में आयी। उन्होंने इस अन्यायी लेख को मिटाने का दृढ़ संकल्प किया। आषाढ़ी पूनम को कुछ श्रावक-श्राविकाओं की व्यक्तिगत सहायता से भुजपुर चातुर्मास हेतु प्रवेश किया। विरोधियों ने तय किया, किसी भी परिस्थिति में गाँव में साध्वीजी को रहने नहीं देना है, गाँव के बाहर निकालना है। उन्होंने भुज-अंजार-मुन्द्रा से सरकारी अधिकारियों को बुलाकर धमकीयाँ दीं। वातावरण उग्र बनता जा रहा था, किन्तु महासतीजी तो अत्यन्त स्वस्थता से नवकार के जाप में लीन थे। अन्त में महासतीजी ने रास्ता निकाला। उन्होंने कहा, "साधु पक्खी प्रतिक्रमण करने बाद गांव नहीं छोड़ सकते। ऐसा साधु का आचार है। इसलिये यदि हमको गाँव में नहीं रहने देना चाहते हो, तो हम चार ठाणे हैं। हम प्रत्येक को साढ़े तीन हाथ की जमीन दे दो। हम देह त्याग कर देंगे। इस प्रकार मरकर जा सकते हैं, जिन्दा नहीं। तो अब आपको, जो योग्य लगे वह करो।" ___सत्य का जय हुआ। आदेश मिला, सुख से बिराजो सतीजी। किन्तु द्वेषी आत्माओं ने अपना काम चालु रखा। वे उपाश्रय के बाहर अनाज के दाने बिखेर कर जाते। हरी घास डालकर जाते। जिससे महासतीयाँ बाहर नहीं जा सकें। किन्तु भाविकों ने पूरी सेवायें दीं। वह अनाज के दाने पक्षियों को डालकर आते और घास-चारा जानवरों को। अन्त में हैरान करने वालों ने थककर सांवत्सरिक क्षमापना की। वास्तव में सत्य का जय हुआ। अन्यायी लेख का अन्त हुआ। परिणाम स्वरूप भुजपुर में प्रतिवर्ष अच्छे चौमासे होते हैं। वहां अनेक तपस्वी एवं संयमी आत्माएं पैदा हुई हैं। लेखिका-सा.श्री सुनन्दाबाई महासतीजी 252
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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