SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 184
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - पू. महाराज श्री के उपदेश से मांस मदिरा का त्याग किया है। सभी नियमित नवकार मंत्र का स्मरण करते हैं। ( तेजस्वी रत्नों' में से) वैद्यराज श्री रामचन्द्रजी के तीन चमत्कारिक अनुभव सतारा के पास आऐ पुसेसावली गांव के निवासी वैद्यराज श्री रामचन्द्र बापुराव सूर्यवंशी, मराठा (क्षत्रिय)जाति के हैं, परन्तु वे जैन धर्म पर अपूर्व आस्था रखते हैं। वे ई. स. 1976 में मुम्बई में श्रेष्ठी सांकलचन्द भगाजी के सम्पर्क में आने से नवकार मंत्र गिनने लगे। अजोड़ आस्था से नवकार मंत्र का स्मरण करने से उनके जीवन में अनेक बार चमत्कारिक घटनाएं घटित हुई है, एक बार वे साईकल पर बैठकर रास्ता काट रहे थे। साईकल में घंटी नहीं थी। रास्ते में ही बड़ा सांप पड़ा था। वह नजदीक आते ही साईकल के सामने फण ऊँचा कर खड़ा हो गया। वैद्यराज पहले तो घबराने लगे किंतु नवकार मंत्र याद आते ही उसे गिनने लगे। अचानक घटनाद सुनाई दिया। सांप उसी क्षण वहां से पलायन कर गया। दूसरी एक घटना में वे एक गांव जा रहे थे। तब रास्ते में | एक कुत्ता भोंक रहा था... और वह भोंकता कुत्ता उनके पीछे पड़ गया। वैद्यराज समझ गये कि कुत्ते का यह रुदन अशुभ है।, परन्तु उसका डर नहीं था। वे आगे बढ़ने लगे। थोड़े दूर जाते ही कुत्ते ने वैद्यराज को तीन प्रदक्षिणा दीं। बाद के क्षणों में द्रुत गति की रेल से भी तेज एक सर्प उनके सामने आने लगा। किंतु आश्चर्य की बात यह थी कि वैद्यराज के सर्कल में अर्थात् कुत्ते ने प्रदक्षिणा दी थी, इस जगह पर सर्प प्रवेश नहीं कर सका, वहीं स्तंभित हो गया। वैद्यराज तो हमेशा के साथी नवकार के | ध्यान में वहां तल्लीन हो गये। सांप गायब! तीसरी घटना भी चमत्कारिक है। एक बार वैद्यराज अपने मित्र बाबुराव एवं एक किसी अन्य के साथ ट्रक में बैठकर सतारा से कराड़ जा रहे थे। रास्ते में एक बड़े पत्थर के साथ टकराने से ट्रक के आगे का भाग टूट गया। किंतु तीनों में से किसी को भी थोड़ी सी भी 157
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy