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________________ • जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? कि अब इनके आश्रित बच्चे क्या खायेंगे? थोड़ी देर बाद ही मेरे सामने रोष प्रकट करने वाले मुझसे माफी मांगने लगे। मैं घटना के समय नवकार मंत्र गिन रहा था। मेरी तनख्वाह पांच सौ रूपये से बढकर एक हजार आठ सौ रूपये हुई है। लेखक - नरेन्द्र माणकलाल मोतीवाले, (" प्रसंग परिमल' में से) धनजीभाई धन्य बने पन्द्रह दिन पहले की ताजी बात है। साणंद के म्यु. प्रेसीडेंट मोटर द्वारा राजकोट गये थे। वहां से चोटीला होकर वापिस आते साणंद के पास पहुँचे तब अचानक मोटर बन्द हो गई। धनजी भाई मोटर में ही बैठे थे। बैठे-बैठे सहजता से नीन्द आ गई, कि पीछे से एक माल से भरी ट्रक तेज गति से आ रही थी। धनजी भाई के साथ वाले ने हाथ ऊँचा करके ट्रक वाले को धीरे से चलाने का ईशारा किया, परन्तु ट्रक वाले ने तेज गति जारी रखी। जिससे ट्रक धनजी भाई की गाड़ी से टकराई और धनजी भाई की गाड़ी एक बड़े गड्ढे में गिर गई। सामने एक बड़ा पेड़ था । यदि गाड़ी इस पेड़ से टकरा जाती तो गाड़ी का चकनाचूर हो जाता। किंतु आश्चर्य की बात यह थी कि गाड़ी गड्ढे में गिरने के बावजूद किसी को कोई चोट नहीं लगी और सब आबाद बच गये। बचने का कारण सभी को एक ही मिला कि इस घटना के समय धनजी भाई "अरिहंत... अरिहंत" जपते थे। श्री धनजी भाई पटेल जैनेतर होने के बाद भी तीन वर्ष पूर्व पु. गुरुदेव विजयलक्ष्मणसूरीश्वरजी म.सा. के समागम में आये। फिर उनके व्याख्यानों का उनके ऊपर जोरदार असर होने लगा और तब से वे नियमित नवकार मंत्र गिनने लगे। वे अपने मित्रों एवं शुभेच्छकों को भी समय-समय पर दर्शनार्थ लाकर व्याख्यान सुनवाते हैं। उनके मित्र मण्डल में घांची मोची, पटेल, ब्राह्मण इस प्रकार विविध जातियों का समावेश होता है। सभी भाइयों ने 156
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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