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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? प्रकट हुई होगी। मैंने स्वयं निरीक्षण किया तो जाना कि,"कोई मेरा बिगाड़े तो भी वह सुधरे और सुखी बने-ऐसे भाव मुझ में रहा करते हैं।" मेरी 37 वर्ष की उम्र में दि. 6.1.70 को रचके से हमारे छः बैलों के पेट फूल गये थे। लोगों ने कहा कि सप्ताह भर पहले इसी कारण से एक स्वस्थ गाय तुरंत मर गई थी। उपचार करने जितना समय भी नहीं था। तत्काल सभी बैल अच्छे हों, इस भावना के साथ मैंने उल्टा नवकार समझना चालु किया। पन्द्रह मिनट में नवकार के अर्थचिंतन के बाद सभी बैल स्वस्थ हो गये! इसके बाद हमारी बाड़ी के चौकीदार शम्भु बारोट की गर्दन एक ओर मुड़ नहीं रही थी, उसे बारह दिन हो जाने से वह चिंता करने लगा था। वह अच्छा हो जाये ऐसे भाव के साथ-साथ मैं उल्टा नवकार संक्षेप में समझ गया। वह घर पहुंचा तब पता चला कि गर्दन एकदम सही हो गयी है। प्रत्यक्ष प्रमाणों को देखकर पुत्री एवं पत्नी को भी नवकार को समझने की इच्छा जगी। मैंने उन्हें सन् 1971 में मार्च से अगस्त तक प्रतिदिन डेढ़ घन्टे तक नवकार के विशेषार्थ को समझाया और उन्होंने भी नवकार समझने की आराधना प्रारंभ कर दी। ___ कुछ कष्ट अपने भले के लिए होते हैं। मेरी लम्बी बीमारी के कारण में धर्म की ओर मुड़ा हूँ। इसलिए मैंने हितकारक आपत्तियों के अतिरिक्त अन्य आपत्तियां दूर हों ऐसी भावना के साथ नवकार का प्रयोग करने का निर्णय लिया। लायजा से पैदल संघ जब सुथरी पहुंचा तब संघपति की माला हीरबाई जेठा खेतु को पहनाने के समय हाजिर रहने हेतु हम जीप गाड़ी में जा रहे थे। तब बाड़ा गांव में पहुंचे और मोड़ने पर भी गाड़ी नहीं मुड़ी। ब्रेक लगाकर दीवार की ओर जाती हुई गाड़ी को रोका। ऐसा लगा कि अब सुथरी पहुँना संभव नहीं है। मैंने नवकार चालु कर दिया, फिर गाड़ी चालु कर देखी तो वह चल पड़ी। मोड़कर देखा तो मुड़ी। सावधानीपूर्वक सुथरी तक गाड़ी चलाकर ले गये। वहां पहचान के ड्राईवर को गाड़ी की जांच करने को कहकर हम उपाश्रय पहुँचे। ड्राईवर ने दूसरे 112
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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