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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - ड्राईवर को बुलाकर जीप चालू की, किंतु थोड़ा ही आगे जाने पर पहिये अपने आप मुड़ने के कारण गाड़ी तालाब की पाली पर चढ गयी और उल्टी हो गई। मोड़ने का स्टियरिंग काम नहीं कर रहा था। बाड़ा से सुथरी तक वह गाड़ी कैसे आई इस बात का सभी को आश्चर्य हुआ। उस ड्राईवर को जब दिमाग की तकलीफ हुई तब डॉक्टरों ने कहा कि जीवनभर यह लंबी दूरी तक गाड़ी चला नहीं सकेगा। एक साथ पन्द्रह मील ही चला सकेगा। उसने मुझे मंत्र द्वारा स्वस्थ करने की विनति की। मैंने नवकार समझने का प्रारंभ किया। उसे अपने शरीर पर मयूर पंख फिरता हो, ऐसा अहसास हुआ। बाद में वह एकदम स्वस्थ हो गया। नवकार के प्रभाव से मेरी पवित्र इच्छाएं तुरंत फलीभूत होने लगीं। जब लायजा के मंदिर के एक भगवान का तिलक चोरी हो गया तब मैंने भावना भाई कि "ले जाने वाले को सद्बुद्धि मिले और वापिस रखकर जाये।" दस दिन में कोई तिलक वापिस रखकर चला गया। उसमें मात्र | एक लाल नंग कम था। मझे विचार आया कि, 'सविधा के लिए, यात्रार्थ एवं व्याख्यान श्रवण हेतु जाने के लिए अच्छी गाड़ी मिल जाए तो बहुत अच्छा रहे।' ठीक दो महिनों में मेरे भाई ने अपने-आप गाड़ी भेज दी। एक युवान के गले में बड़ी गांठ निकली थी। दवा से नहीं मिटी। उसको देखा तब मुझे लगा कि इसकी गांठ मिट जाये तो अच्छा। इस निमित्त से नवकार को एक बार समझ कर पूरा किया। थोड़े समय के बाद उसकी गांठ मिट गई! _ 'हमारे क्षेत्र का जबरदस्त चोर चोरी करना बंद कर दे'- ऐसे भाव जगते ही मैंने नवकार को एक बार समझ कर पूरा कर लिया। उस चोर |ने दो वर्षों में चोरी करना छोड़ दिया। अब तो वह अपने धार्मिक संतों की भक्ति एवं लोगों की सेवा करता है। किसी के निकाचित कर्म होते हैं, तब उसकी तकलीफ असाध्य होने के कारण मेरे प्रयत्नों के बावजूद मैं सम्पूर्ण नवकार पूरा नहीं कर 113
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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