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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - ( प्रकाशकीय ) हमारी परमोपकारी पूज्य मातृश्री कस्तूरबाई एवं पिताजी कुंवरजी जेठाभाई उर्फ बाबुभाई, जिन्होंने हमारे जीवन में सुसंस्कारों के बीज बोये, धर्म के प्रति आस्था जगाई एवं धर्ममय जीवन जीने की प्रेरणा दी, उनके उपकारों का ऋण आंशिक रूप से भी अदा करने की भावना से, शासन सम्राट, भारत दिवाकर, परमोपकारी, अचलगच्छाधिपति प.पू. आ.भ.श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म.सा. के आशीर्वाद से सम्यग्यज्ञान के प्रकाशन/ प्रसारण हेतु हमारी मातृश्री के नाम से "श्री कस्तूर प्रकाशन | ट्रस्ट' की स्थापना वि.सं. 2044 में हुई, और उसी वर्ष प.पू.अचलगच्छाधिपतिश्री के विद्वान विनेय पू.गणिवर्य श्री महोदयसागरजी म.सा.द्वारा सम्पादित "जेना हैये श्री . नवकार, तेने करशे शुं संसार" किताब का प्रकाशन करने का अनमोल लाभ हमको - मिला। यह किताब इतनी लोकप्रिय हुई कि निम्नोक्त प्रकार से इसका 5 बार गुजराती में एवं 1 बार अंग्रेजी में संस्करण हमारी ओर से प्रकाशित हुआ। - - वि.सं.2044 प्रथमावृत्ति 3000 प्रतियां वि.सं.2045 द्वितीयावृत्ति 3000 प्रतियां वि.सं.2047 तृतीयावृत्ति 3000 प्रतियां वि.सं.2048 चतुर्थावृत्ति 5000 प्रतियां वि.सं.2052 पंचमावृत्ति 5000 प्रतियां वि.सं.2052 अंग्रेजी संस्करण 2000 प्रतियां हिन्दीभाषी पाठकों की ओर से अनेक बार होती हुई विज्ञप्ति को लक्ष्य में लेकर इस बार उपरोक्त किताब का हिन्दी संस्करण भी प्रकाशित करने का लाभ हमें मिल रहा है, इसलिए हम पू.गणविर्य श्री के ऋणी है। प्रस्तुत किताब का हिन्दी अनुवाद मानद सेवा के रूप में करने के लिए बाड़मेर निवासी श्री मदन लाल बोहरा अत्यंत धन्यवाद के पात्र हैं। हमारी ओर से प्रकाशित साहित्य सूचि इसी पुस्तक में अन्यत्र दी गयी है। लिखी. कस्तूर प्रकाशन ट्रस्ट की ओर से सोलीसीटर हरखचन्द कुवरजी गडा (ट्रस्टी) XII
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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