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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? हैं। मगर वैसे साधक प्रायः गुप्त रहना ही अधिक पसंद करते हैं, लिहाजा वैसे आध्यात्मिक अनुभूति गर्भित लेख विशेष प्राप्त नहीं हुए हैं। फिर भी प्रस्तुत किताब को पढ़ने वाले नवकारप्रेमी आराधकों को, इतना तो अवश्य ख्याल रखना चाहिए कि, नवकार महामंत्र की आराधना मुख्यतः इस भव में पाप वासनाओं के नाश द्वारा आत्मस्वरूप की आंशिक अनुभूति रूप सम्यगदर्शन की प्राप्ति द्वारा परलोक में शीघ्र मुक्ति (संपूर्ण आत्मरमणता) की प्राप्ति के लक्ष्य से ही करनी चाहिए। नवकार की आराधना से होने वाले बाहय - भौतिक लाभ तो, घी के लिए दही का मथन करने पर आनुसंगिक रूप से प्राप्त होती हुई छाछ की तरह... अथवा धान्योत्पत्ति के लिए खेती करने पर BY PRODUCT के रूप प्राप्त होते हुए घास की भांति गोण ही है। फिर भी प्रारंभिक कक्षा में रहे हुए जीवों को चर्मचक्षु से दृश्यमान बाह्य लाभों के वर्णन द्वारा ही महामंत्र के प्रति श्रद्धा उत्पन्न करनी आसान बन सकती है, इसलिए प्रस्तुत पुस्तक में वैसे दृष्टांतों को स्थान दिया गया है। इस हिन्दी आवृत्ति में कुछ दृष्टांत 'नवकार यात्रा' (जिसमें प्रस्तुत किताब की गुजराती आवृत्ति में से कई दृष्टांत उद्धृत किये गये हैं) में से साभार उद्धृत किये गये है। अंत में विवेकी पाठकवृंद से विज्ञप्ति है कि हंस की तरह क्षीर-नीर न्याय से इस किताब में से सार भाग को ग्रहण करके नवकार महामंत्र की विशिष्ट साधना द्वारा सम्यग्दर्शन के निर्मल प्रकाश को प्राप्त करके, शीघ्र मुक्ति को प्राप्त करें, यहीं शुभाभिलाषा। छद्मस्थदशावशात् जिनाज्ञा विरुद्ध कुछ भी लिखा गया हो तो हार्दिक मिच्छामि दुक्कडं । XI -गणि महोदयसागर उदयपुर (राज.) दि. 1-12-99
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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