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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? ------------------------- SCI स्वीकार-रा॥दर राति 11- अनंत उपकारी, भवोदधितारक, वात्सल्य वारिधि, सच्चारित्र चूड़ामणि, ___अनन्य प्रभुभक्त, शासन सम्राट, भारत दिवाकर, तीर्थ प्रभावक, दिव्यकृपादाता, अचलगच्छाधिपति, प.पू. गुरूदेव आचार्य भगवंत श्रीगुणसागरसूरीश्वरजी म.सा. 2- संलग्न 31वें वर्षीतप के आराधक, वर्तमान अचलगच्छाधिपति, ____ तपस्वीरत्न, प.पू. आ.भ. श्रीगुणोदयसागरसूरीश्वरजी म.सा. 1: 3- सूरिमंत्रपंच प्रस्थान समाराधक, साहित्य दिवाकर, प.पू.आ.भ. श्रीकलाप्रभसागरसूरीश्वरजी म.सा. 4- लेखन आदि शुभ प्रवृत्तियों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से सहायक बनते हुए विनीत शिष्य, तेजस्वी वक्ता मुनिराज श्रीदेवरत्नसागरजी, स्वाध्यायप्रेमी, मुनिराज श्रीधर्मरत्नसागरजी, तपस्वी मुनिराज श्रीकंचन सागरजी, सेवाशील मुनिराज श्रीअभ्युदयसागरजी एवं प्रशिष्य मुनिराज श्रीभक्तिरत्नसागरजी 15- रत्नत्रयी की आराधना में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहायक बनते हुए सभी गुरुबन्धुओं, छोटे-बड़े, मुनिवर, नामी-अनामी, सभी शुभेच्छकों हितचिंतकों आदि 6- मुमुक्षु अवस्था में धार्मिक सूत्र (सार्थ) का ठोस अध्ययन कराने वाले एवं संयम की प्रेरणा प्रदान करने वाले परमोपकारी, नवकारनिष्ठा, तत्वज्ञा, स्व.सा.श्री गुणोदयश्रीजी महाराज • मुमुक्षु अवस्था में 5 वर्ष पर्यन्त संस्कृत-प्राकृत व्याकरण, न्याय, काव्य, षड्दर्शन आदि का अच्छी तरह अध्ययन कराने वाले पंडित शिरोमणि श्री हरिनारायण मिश्र (व्याकरण-न्याय-वेदांताचार्य) इत्यादि अगणित उपकारी आत्माओं का सादर स्मरण करते हुए गौरव एवं आनंद का अनुभव करता हूँ। -गणि महोदयसागर - XIII
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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