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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, ठसे करेगा क्या संसार? - । सामूहिक आराधना हुई। उस वक्त भी प्रति रविवारीय नवकार महामंत्र ! । विषय के ऊपर जाहिर प्रवचमाला में इस किताब में मुद्रित कुछ दृष्टान्तों, का विश्लेषण करने पर श्रोताओं पर बहुत गहरा असर हुआ और कई "आराधक नियमित रूप से महामंत्र की आराधना में जुड़ गये। फलतः इन । सभी दृष्टांतों की किताब शीघ्र प्रकाशित करने के लिए चारों ओर से बहुत । मांग होने लगी। आखिर दृष्टांतों के साथ-साथ नवकार महामंत्र की महिमा दर्शक । शास्त्रीय श्लोक एवं उसका अर्थ, जप की विधि, जप में एकाग्रता के लिए विविध उपाय, पंच परमेष्ठी के 108 गुण इत्यादि विषय को जोड़कर विक्रम संवत 2044 में गुजराती भाषा में 5000 प्रतियां प्रकाशित हुई जो | अल्प समय मे समाप्त हो गई। बाद में आज तक कुल पांच आवृत्तियों में - 19000 प्रतियां गुजराती में एवं दो हजार प्रतियां अंग्रेजी में प्रकाशित हो गई। वि.सं. 2055 का चातुर्मास बाडमेर (राजस्थान) में हुआ तब उपरोक्त किताब का एवं "बहुरत्ना वसुंधरा" नाम की लोकप्रिय किताब का भी हिन्दी । अनुवाद प्रकाशित करने के लिए बहुत मांग होने लगी। फलतः मर्यादित समय में दोनों किताबों का हिन्दी में अनुवाद हो जाए इसके लिए "बहुरत्ना , वसुंधरा" का हिन्दी अनवाद मैंने स्वयं प्रारंभ किया और नवकार महामंत्र की | किताब अनुवाद करने का कार्य "धर्मघोष" हिन्दी मासिक के सह-सम्पादक, | बाडमेर निवासी, उत्साही युवा श्रावक श्री मदनलाल बोहरा को सौंपा, जो कार्य उन्होंने मानद सेवा के रूप में बहुत शीघ्रता से सम्पन्न करके उसका | कम्प्यूटर में कम्पोज भी बाड़मेर में करवा दिया एवं आखरी प्रूफ सुधार और 1 पृष्ठ-सज्जा तथा बटर कॉपी के लिए श्री GPC COMPUTER- (27,' PIN SIDE HATHI POLE) UDAIPUR (RAJ.) ने अच्छा सहयोग 1 दिया एवं 'श्री कुमार प्रकाशन केन्द्र' ने अल्प समय में इसका मुद्रण कर । दिया, फलतः प्रस्तुत किताब वाचकों के कर कमल में यथासमय प्रस्तुत हो, । रही है, इसके लिए वे सभी अत्यन्त धन्यवाद के पात्र हैं। . इस किताब में प्रस्तुत दृष्टांतों में मुख्य रूप से नवकार महामंत्र द्वारा घटित बाह्य लाभों का ही निर्देश किया गया है। कुछ । विशिष्ट साधकों को विभिन्न प्रकार के आध्यात्मिक अनुभव भी हुए।
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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