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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - सम्पादकीय प्रस्तावना । वि.सं. 2041 में हमारा चातुर्मास श्रीसंभवनाथ भगवान की छत्रछाया । में अचलगच्छाधिपति प.पू.गुरूदेव आ.भ.श्री गुणसागरसूरीश्वरजी म.सा. की। निश्रा में मुंबई-वडाला अचलगच्छ जैन संघ के नूतन उपाश्रय में हुआ, तब 19 दिन में 1 लाख नवकार महामंत्र की सामूहिक आराधना एवं 13 । अहोरात्र तक नवकार महामंत्र के अखंड भाष्यजप के साथ 21 दिन तक || "जिसके दिल में श्री नवकार उसे करेगा क्या संसार?' इस विषय पर । प्रवचनमाला का आयोजन हुआ था। उस प्रवचनमाला में कुछ अर्वाचीन दृष्टांत प्रस्तुत किये गये थे, जो श्रोताओं को नवकार महामंत्र के प्रति । । अत्यन्त अहोभाव जगाकर, उसकी नियमित आराधना के लिए बहुत ही | प्रेरक साबित हुए। अतः उस वक्त ऐसी स्फुरणा हुई कि ऐसे अनेक । अर्वाचीन दृष्टांत संग्रहित करके प्रकाशित किये जाएं तो अनेक आत्माओं के । लिए अत्यंत लाभकारक हो सकें। अचिंत्य चिंतामणि नवकार महामंत्र को । छोड़कर, लौकिक मंत्र-तंत्रादि की ओर आकृष्ट होते हुए अनेक जीवों को || पुनः नवकार महामंत्र के प्रति अनन्य आस्था जगाने में सहायक बन सकें || और नवकार महामंत्र के प्रभावदर्शक शास्त्रीय दृष्टान्तों के प्रति भी श्रद्धा । उत्पन्न हो सके। उपरोक्त विचारों को परमोपकारी पू. गुरूदेव श्री के पास प्रस्तुत । करने पर पूज्य श्री ने सहर्ष अनुमति प्रदान की। फलतः उस वक्त गुजराती एवं हिन्दी भाषा में मुद्रित परिपत्र, सकल श्री जैन संघ के प्रायः सभी | साधु-साध्वीजी भगवंतों को एवं जिनमंदिरादि सार्वजनिक स्थानों पर भेजे । गये और नवकार महामंत्र के द्वारा जिसको भी जो अनुभव हुए हों उस । विषय में स्वानुभवगर्भित लेख मंगाये गये। अल्प समय में बहुत लेख संप्राप्त ।" हुए। नवकार महामंत्र की विविध किताबों में से भी कुछ अर्वाचीन दृष्टान्त ।' प्राप्त हुए। वि.सं.2042 में नालासोपारा में एवं सं. 2043 में डोंबीवली (मुंबई) में भी संपूर्ण चातुर्मास के दौरान धूप-दीप के साथ नवकार महामंत्र के अखंड भाष्य जप के साथ अनुक्रम से सवा करोड़ एवं नौ करोड़ जप की IX
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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