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________________ निसीहज्झयणं ४२९ उद्देशक १९ : सूत्र १५-२३ १५.जे भिक्खू अप्पणो असज्झाइयंसि यो भिक्षुः आत्मनः अस्वाध्यायिके १५. जो भिक्षु अपनी अस्वाध्यायी में सज्झायं करेति, करेंतं वा स्वाध्यायं करोति, कुर्वन्तं वा स्वदते। स्वाध्याय करता है अथवा करने वाले का सातिज्जति॥ अनुमोदन करता है। वायणा-पदं वाचना-पदम् वाचना-पद १६. जे भिक्खू हेछिल्लाइं समोसरणाई यो भिक्षुः अधस्तनानि समवसरणानि १६. जो भिक्षु अधस्तन (पूर्वी) समवसरणों अवाएत्ता उवरिमसुयं वाएति, वाएंतं अवाचयित्वा उपरितनश्रुतं वाचयति, (सूत्रार्थ) की वाचना दिए बिना उपरितन वा सातिज्जति॥ वाचयन्तं वा स्वदते। (पश्चावर्ती) श्रुत की वाचना देता है अथवा वाचना देने वाले का अनुमोदन करता है। १७. जे भिक्खूणव बंभचेराई अवाएत्ता यो भिक्षुः नवब्रह्मचर्याणि अवाचयित्वा १७. जो भिक्षु नव ब्रह्मचर्य (आचारांग) की उत्तमसुयं वाएति, वाएंतं वा उत्तमश्रुतं वाचयति, वाचयन्तं वा वाचना दिए बिना उत्तमश्रुत (छेदसूत्रों) की सातिज्जति॥ स्वदते। वाचना देता है अथवा वाचना देने वाले का अनुमोदन करता है। १८.जे भिक्खू अपत्तं वाएति, वाएंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः अपात्रं वाचयति, वाचयन्तं वा स्वदते। १८. जो भिक्षु अपात्र को वाचना देता है अथवा वाचना देने वाले का अनुमोदन करता है। १९. जे भिक्खू पत्तंण वाएति,ण वाएंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः पात्रं न वाचयति, न वाचयन्तं वा स्वदते। १९. जो भिक्ष पात्र को वाचना नहीं देता अथवा वाचना न देने वाले का अनुमोदन करता है। २०.जे भिक्खू अपत्तं वाएति, वाएंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः अप्राप्तं वाचयति, वाचयन्तं वा स्वदते। २०. जो भिक्षु अप्राप्त को वाचना देता है अथवा वाचना देने वाले का अनुमोदन करता है। २१.जे भिक्खू पत्तंण वाएति, ण वाएंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः प्राप्तं न वाचयति, न वाचयन्तं वा स्वदते। २१. जो भिक्षु प्राप्त को वाचना नहीं देता अथवा वाचना न देने वाले का अनुमोदन करता है। २२. जे भिक्खू अव्वत्तं वाएति, वाएंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः अव्यक्तं वाचयति, वाचयन्तं वा स्वदते। २२. जो भिक्षु अव्यक्त को वाचना देता है अथवा वाचना देने वाले का अनुमोदन करता है। २३.जे भिक्खू वत्तंण वाएति, ण वाएंतं वा सातिज्जति॥ यो भिक्षुः व्यक्तं न वाचयति, न २३. जो भिक्षु व्यक्त को वाचना नहीं देता वाचयन्तं वा स्वदते। अथवा वाचना न देने वाले का अनुमोदन करता है।
SR No.032459
Book TitleNisihajjhayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Srutayashashreeji Sadhvi
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages572
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size16 MB
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