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________________ जैन तीर्थ, इतिहास, कला, संस्कृति एवं राजनीति २०३ दमन, युद्धक्षेत्रमें नाना प्रकारका रणकौशख एवं समस्त मनोरथ सिद्धि इस बल द्वारा होती है।' अश्वबलके निर्वाचनमें भी अश्वोंके उत्पत्ति स्थान,' उनके गुणावगुण, शारीरिकशक्ति, शौर्य, चपलता आदि बातोंपर ध्यान देना चाहिये । रथबलका निरूपण करते हुए उसकी आवश्यकता, कार्य, अजेय शक्ति आदि बातोंपर पूर्ण प्रकाश डाला है। इस बलके निर्वाचनमें धनुविद्याके ज्ञाता योद्धाओंकी उपयुक्तता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। पदातिबलमें पैदल सेनाका निरूपण किया है, पैदल सेनाको अस्त्र-शस्त्रमें पारंगत होनेके साथ-साथ शूरवीर, रणानुरागी, साहसी, उत्साही, निर्भय, सदाचारी, अव्यसनी, दयालु होना अनिवार्य बताया है । जबतक सैनिकमें उपर्युक्त गुण न होंगे, वह प्रजाके कष्ट निवारणमें समर्थ नहीं हो सकता है । सेवाभावी और कर्तव्य परायण होना प्रत्येक प्रकारको सेनाके लिये आवश्यक बताया है सेनापतिकी योग्यता और गुणों का कथन करते हुए सोमदेव सूरिने कहा है कि कुलीन, आचार-व्यवहार सम्पन्न, पण्डित, प्रेमिल, पवित्र क्रियावान्, पराक्रमशाली, प्रभावशाली, बहु कुटुम्बी, नीतिविद्या निपुण, सभी अस्त्र-शस्त्र-सवारी-लिपि भाषाओंका पूर्ण जानकार, सभीका विश्वास और श्रद्धा भाजन, सुन्दर, कष्टसहिष्णु, साहसी, युद्ध विद्या निपुण तथा दया, दाक्षिण्यादि नाना गुणोंसे विभूषित सेनापति होता है । इसमें कायरता, वासना, निष्ठुरता, असहयोगिता, निन्दा, ईर्ष्या व्यसन-प्रवृत्ति, असमयज्ञता, अनावश्यक व्यय आदि दुगुणोंका अभाव रहना अनिवार्य बताया है । सेनापतिकी गणना राजाके प्रधान अधिकारियोंमें की गयी है । इसका निर्वाचन राजाको मंत्रियोंकी सहायतासे बहुत सोच-समझकर करना चाहिये । सोमदेव सूरिने इस विभागका बड़ाभारी उत्तरदायित्व बताया है । राज्यको रक्षा और उसकी अभिवृद्धि करना इस विभागका ही काम माना है । पुलिस विभाग-की. व्यवस्थाके सम्बन्धमें उल्लेख करते हुए सोमदेव सूरिने कोट्टपाल दण्डपाशिकको इस विभागका प्रधान बताया है । चोरी, डकैती, बलात्कार आदिके मामले पुलिस द्वारा सुलझाये जाते थे। पुलिसको बड़े-बड़े मामलोंमें सेनाकी सहायता भी लेने को लिखा है। इस विभागको सुदृढ़ करनेके लिए गुप्तचर नियुक्त करना आवश्यक है । गांवों में मुखियाको ही पुलिस का उच्चाधिकारी बताया है । धन सम्पत्ति, पशु आदिके अपहरणकी पूरी तहकीकात मुखियाको ही करनी चाहिये । मुखिया अपने मामलोंकी जाँचमें गुप्तचरोंसे भीसहायता ले सकता है । पुलिस विभागकी सफलता बहुत कुछ गुप्तचर-सी०आई०डी० पर ही आश्रित मानी गयीहै । गुप्तचरके गुणोंका निरूपण करते हुए बताया है कि संतोषी, जितेन्द्रिय, सजग, निरोगी, सत्यवादी, तार्किक १. अश्वबलं सैन्यस्य जंगमं प्रकारः । अश्वबलप्रधानस्य हि राज्ञः कदनकन्दुकक्रीडाः प्रसीदन्ति, भवन्ति दूरस्था अपि करस्थाः शत्रव आपत्सु सर्वमनोरथसिद्धयस्तु रंगमा एव शरणमव स्कन्दः परानीकभेदनं च तुरंगमसाध्यमेतत् ॥-नीति० ब० सू० ९ २. तजिका स्थलाणा करोखरा गाजिगाणा केकाणा पुष्टाहारा-इत्यादि बलस० सू० १० ३. रथरवदितं परबलं सुखेन जीयते मौल-भृत्यक-भृत्य-श्रेणी मित्राटविकेषु पूर्व पूर्व बलं बतेत-बल स० सू १२ ४. स्वपरमण्डल कार्याकार्यावलोकने चराः चढूंषि क्षितिपतीनाम् ।।-नी० च० सू० १
SR No.032458
Book TitleBharatiya Sanskriti Ke Vikas Me Jain Vangamay Ka Avdan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri, Rajaram Jain, Devendrakumar Shastri
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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