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________________ 38 प्राकृत भाषा प्रबोधिनी 'तुम' और 'मैं' बोधक शब्दों के अतिरिक्त शेष सभी शब्द प्रथम पुरुष Third person होते हैं। शब्दरूपावली के नियमों के आधार पर संस्कृत के समान प्राकृत में सर्वनामों को सर्वादि-सर्व, विश्व, उभय, एक, एकतर; अन्यादि-अन्य, इतर, कतर, कतम; यदादि-यद्, तद्, एतद्, किम्; पूर्वादि-पूर्व, पर, अवर, दक्षिण, उत्तर, अपर, अधर, स्व एवं इदमादि-इदम्, अदस्, युष्मद्, अस्मद्, भवत् वर्गों में विभक्त किया जा सकता है। पास की वस्तु या व्यक्ति के लिए इम (इदम्); अधिक पास की वस्तु या व्यक्ति के लिए एअ (एतद्); सामने के दूरवर्ती पदार्थ या व्यक्ति के सम्बन्ध में अमु (अदस्) और परोक्ष-जो वक्ता के सामने नहीं हो, पदार्थ या व्यक्ति के लिए स (तद्) शब्द का व्यवहार किया जाता है। नोट-सर्व शब्द के रूप परिशिष्ट में उल्लिखित हैं। अव्यय अव्यय पद हमेशा सभी विभक्तियों, सभी वचनों और सभी लिंगों में अपरिवर्तित होते हैं। कुछ अव्यय तो संस्कृत-अव्ययों के स्वर-व्यञ्जन परिवर्तन के द्वारा बने हैं तथा कुछ स्वतन्त्र अव्यय हैं जो संस्कृत में नहीं मिलते हैं। अकारादि क्रम से प्रमुख अव्यय सूचीअ (च) और अण्णहा (अन्यथा) विपरीत अइ (अति) अतिशय अण्णया (अन्यदा) दूसरे समय अइ (अयि) संभावना अणंतरं (अनन्तरम्) पश्चात्, विना अइरं (अचिरम्) शीघ्र अप्पणो, सयं (आत्मनः, स्वयम्) खुद अइरेण (अचिरेण) अभिक्खणं (अभीक्ष्णम्) बारम्बार अईव (अतीव) अत्यधिक अहिओ (अभितः) चारों ओर अओ (अतः) इसलिए अम्मो-आश्चर्य अकट्ठ (अकृत्वा) नहीं करके अरे-रतिकलह अग्गओ (अग्रतः) आगे अलं (अलम्) बस, पर्याप्त अग्गे (अग्रे) पहले अलाहि-निवारण
SR No.032454
Book TitlePrakrit Bhasha Prabodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangitpragnashreeji Samni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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