SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 39 प्राकृत भाषा प्रबोधिनी अच्चत्थं (अत्यर्थम्) अधिक अर्थ इव, मिव, पिव, विव, ब्व, व, विअ अज्ज (अद्य) आज (इव) सादृश्य अण, णाई (अन = नञ्) निषेध इह (इह) यहाँ अण्णमण्णं, अण्णोण्णं (अन्योन्यम्) आपस में इहरा, इयरहा (इतरथा) अन्यथा ___ ईसिं, ईसि (ईषत्) थोड़ा अब्बो-सूचना, दुःख, संभाषण, अपराध, उअ-देखो विस्मय, आनन्द, आदर, भय, खेद, ऊअ (उत्) विकल्प, प्रश्न विषाद, पश्चात्ताप उच्चअ (उच्चैः) उन्नत अवस्सं (अवश्यम्) अवश्य एअं (एतत्) यह उवरिं (उपरि) ऊपर एकइआ, एक्कइआ, एक्कया, एगइया, पि, वि, अवि (अपि) प्रश्न, सम्भावना एगदा (एकदा) एक समय समुच्चय असई (असकृत्) बार-बार एगयओ (एकैकतः) एक-एक अह (अथ) पश्चात् एतावता, एयावया (एतावता) इतना अह, अहे (अधस्) नीचे एत्थं, एत्य, इत्थ (अत्र) यहाँ अहत्ता हेट्ठा (अधस्तात्) नीचे एव (एव) ही अहइं (अथ किम्) और क्या एवं (एवम्) इस तरह अहव, अहवा, (अथवा) पक्षान्तर एमेव, एवमेव (एवमेव) इसी तरह अहुणा (अधुना) इस समय जेव, जेव, ज्जेव्व, जेव्व (एव) निश्चय झत्ति (झटिति) शीघ्र आम् (ओम्) स्वीकृति सूचक ण (न) निषेध इओ (इतः) यहां से णवि-वैपरीत्य इयाणिं (इदानीम्) इस समय णं (न) वाक्यालंकार ओ-सूचना, पश्चात्ताप णमो (नमः) नमस्कार कओ (कुतः) कहाँ से णवर, णवरं-केवल कत्थइ (कुत्रचित्) कहीं णवरि-अनन्तर
SR No.032454
Book TitlePrakrit Bhasha Prabodhini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangitpragnashreeji Samni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy