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________________ १०१ १०२ १०२ १०२ १०२ १०२-१०४ १०३ १०४ १०४-१०५ १०५ १०५-१०६ १०६ १०६ १०७-१०८ १०७ १०८ जघन्यपद में नामकर्म की उत्तरप्रकृतियों के प्रदेशात्रों का अल्पबहुत्वं , वेदनीय और गोत्रकर्म की प्रकृतियों के प्रदेशामों का अल्पबहुत्व , अन्तरायकर्म की प्रकृतियों के प्रदेशागों का अल्पबहत्व उत्कृष्ट जघन्य प्रदेशाग्र कब संभव हैं ? अनुभागबंधप्ररूपणा के अनुयोगों के नाम गाथा-२९ रसाविभागों की उत्पत्ति में हेतु शुभ और अशुभ अध्यवसायों का परिणाम रसाविभागों की उत्पत्ति में विषमता का कारण गाया-३० अनुभाग-वर्गणाओं की प्ररूपणा गाथा-३१ अनुभाग-स्पर्धकप्ररूपणा अन्तरप्ररूपणा स्थानप्ररूपणा गाथा-३२ कंडकप्ररूपणा षटस्थानप्ररूपणा गाथा-३३,३४,३५,३६ षटस्थानप्ररूपणा का विस्तार से वर्णन गाथा-३७ अनन्तभागवृद्धि आदि में भागाकार और गुणाकार का प्रमाण.... भागाकार और गुणाकार सम्बधी प्रमाणविषयक शंका-समाधान अधस्तनस्थानप्ररूपणा गाथा-३८ वृद्धि, हानि प्ररूपणा गाथा-३९ उत्कृष्ट और जघन्य अवस्थानकालप्ररूपणा गाथा-४० अनुभागबंधस्थानों की यवमध्यप्ररूपणा अनुभागबंधस्थानों का अल्पबहुत्व गाथा-४१ अनुभागबंधस्थानों की विशेष संख्या का निरूपण ओजोयुग्मप्ररूपणा गाथा-४२ पर्यवसानप्ररूपणा गाथा-४३ अनन्तरोपनिधा से अल्पबहुत्वप्ररूपणा १०९-१११ ११० ११.१-११७ ११२ ११३ ११७-११८ ११७ ११८-११९ ११९-१२१ ११९ १२० १२१-१२२ १२१ १२२ १२३ १२३ १२३-१२७ १२४
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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