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________________ परंपरोपनिधा से अल्पबहुत्वप्ररूपण अनुभागबंधस्थानों के निष्पादक जीवों की प्ररूपणा के अनुयोगद्वारों के नाम गाथा-४४ प्रत्येकस्थान में जीवप्रमाणप्ररूपणा अन्तरस्थानप्ररूपणा गाथा-४५ निरंतरस्थानप्ररूपणा नानाजीवकालप्ररूपणा गाथा-४६ अनन्तरोपनिधा से अनुभागबंधस्थानों के बंधक जीवों की वृद्धिप्ररूपणा परंपरोपनिधा से अनुभागबंधस्थानों के बंधक जीवों की वृद्धि प्ररूपणा गाथा- ४८ गाथा-४७ द्विगुण वृद्धि हानिरूप स्थानों का परिमाण अनुभागबंधस्थानों की यवमध्यप्ररूपणा गाथा - ४९, ५०, ५१ स्पर्शनाकालप्ररूपणा स्पर्शनाकालप्ररूपणा का प्रारूप अनुभागबंधस्थानों का अल्पबहुत्व गाथा - ५२ एक-एक स्थितिबंधस्थान में नाना जीवों की अपेक्षा प्राप्त अनुभागबंधाध्यवसायस्थानों का प्रमाण गाथा - ५३ अनन्तरोपनिधा से अनुभागबंधाध्यवसायस्थानों की प्ररूपणा गाथा - ५४ परंपरोपनिधा से अनुभागबंधाध्यवसायस्थानों की प्ररूपणा गाया-५५,५६ वृद्धिप्ररूपणा के आशय का प्रकृतियों में निरूपण स्थितिबंधस्थानों में अनुभागबंध की प्ररूपणा गाथा - ५७, ५८ अनुभागबंधाध्यवसायस्थानों की अनुकृष्टि प्रारंभ होने का स्थान सातावेदनीय आदि नीचगोष पर्यन्त की अनुकृष्टि प्रारंभ होने के स्थान की विशेषता ज्ञानावरणपंचक आदि ५४ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का विवेचन अनुकृष्टि का लक्षण गाथा - ५९, ६० पराघात आदि पैंतालीस शुभप्रकृतियों की अनुकृष्टि का विवेचन सातावेदनीय आदि परावर्तमान शुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का विवेचन गाथा - ६१ असातावेदनीय आदि अशुभ प्रकृतियों की अनुकृष्टि का विवेचन ४८ ૨૧ १२७ १२७-१२८ १२८ १२८ १२८-१३० १२९ १२९ १३० s १३०-१३१ १२१ १३१-१३३ १३१ १३२ १३३ - १३५ १३४ १३४ १३४ १३५-१३६ १३६ १३६ १३६ १३७ १३७ १३७ - १४० १३८ १३९ १४०-१४३ १४१ १४१ १४२ ૪૨ १४३-१४५ १४५ १४५-१४७ १४५
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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