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________________ ९१-९२ ९२-९३ ९४-९५ ९५-१०५ गाथा-२४ बंधनकरण की सामर्थ्य से होने वाले कर्मपुद्गलों के विभाग का कारण प्रकृतिबंध आदि विभागों के लक्षण मूल प्रकृतियों को प्राप्त कर्मदलिकों के विभाजन की प्रक्रिया गाथा-२५ ज्ञानावरण, दर्शनावरण, अन्तराय कर्मों की उत्तरप्रकृतियों को प्राप्त दलिकों के विभाजन की प्रक्रिया सर्वघाति प्रकृतियों को अत्यल्प भाग मिलने का कारण ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तराय की देशघाति प्रकृतियों में प्राप्त दलिकों के विभाजन का नियम गाथा-२६ मोहनीयकर्म की उत्तरप्रकृतियों में दलिकों के विभाजन का नियम वेदनीय, आय, गोत्र कर्मों की उत्तरप्रकृतियों में दलिकों का विभाजन गाथा-२७ नामकर्म की पिंडप्रकृतियों में दलिकों का विभाजन गाथा-२८ बंधननामकर्म की उत्तर प्रकृतियों में दलिकों के विभाजन का विशेष नियम मल प्रकृतियों में प्राप्त दलिकों का विभाजन उत्कृष्टपद में ज्ञानावरणकर्म के भेदों में प्रदेशात्रों का अल्पबहुत्व दर्शनावरणकर्म के भेदों में प्रदेशात्रों का अल्पबहुत्व . .. , वेदनीयकर्म के भेदों में प्रदेशागों का अल्पबहुत्व मोहनीयकर्म के भेदों में प्रदेशागों का अल्पबहुत्व , आयकर्म के भेदों में प्रदेशाग्रों का अल्पबहुत्व गति नामकर्म के प्रदेशात्रों का अल्पबहुत्व जाति नामकर्म के प्रदेशात्रों का अल्पबहुत्व शरीर व संघातन नामकर्म के प्रदेशात्रों का अल्पबहुत्व बंधन नामकर्म के प्रदेशात्रों का अल्पबहुत्व संस्थान नामकर्म के प्रदेशागों का अल्पबहुत्व अंगोपांग नामकर्म के प्रदेशात्रों का अल्पबहुत्व संहनन नामकर्म के प्रदेशाग्रों का अल्पबहुत्व , वर्णचतुष्क नामकर्मों के प्रदेशाग्रों का अल्पबहुत्व । आनुपूर्वी नामकर्म के प्रदेशागों को अल्पबहुत्व ,, सप्रतिपक्ष प्रत्येक प्रकृतियों के प्रदेशों का अल्पबहुत्व। .. , अप्रतिपक्ष निर्माण आदि छह प्रकृतियों के प्रदेशारों में अल्पबहुत्व नहीं होने का कारण ,, गोत्रकर्म के भेदों के प्रदेशाग्रों का अल्पबहुत्व , अन्तरायकर्म के भेदों के प्रदेशाग्रों का अल्पबहुत्व जघन्यपद में ज्ञानावरण की प्रकृतियों के प्रदेशागों का अल्पबहुत्व. ... , दर्शनावरण की उत्तर प्रकृतियों के प्रदेशागों का अल्पबहुत्व , मोहनीय की उत्तर प्रकृतियों के प्रदेशाग्रों का अल्पबहुत्व , आयकर्म की उत्तर प्रकृतियों के प्रदेशाओं का अल्पबहुत्व . ... १०० १०० १०० . १०१ ४६.
SR No.032437
Book TitleKarm Prakruti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Acharya Nanesh, Devkumar Jain
PublisherGanesh Smruti Granthmala
Publication Year1982
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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