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________________ दृष्टांत : २१-२४ २७१ ___ जद दौलजी बोल्यौ-ऊ वैद्य हीयाफ्ट बुद्धिहीण । उणरौ चंद्र बल खिसगयौ सो सीतंग नौ रोग जाणे नै फेर दूध मिश्री पावै । जद शुद्ध जाब देवा असमर्थ थयो। २१. औ किसी लेस्या रा लखण है ? ऋणहि गांम वालौ जीवौजी । तिण नें किसनदासजी गुमानजी रौ साध बोल्यौ- साधु में लेस्या ३ भलीज है, माठी लेस्या नहीं। इतले जोरजी कटारीयौ आयौ । जद किसनदासजी बोल्यौ-औ आयौ जीवला रो भरमायौ। जद जीवोजी बोल्यौ-ऐ किसी लेस्या रा लखण है, थे यूं बोलौ हौ सो । जद किसनदासजी बंध हो गयौ। २२. डोरी राख्यां पिण दोष ? संवत १८७९ रे चोमासा मै पाडिहारी छुरी रात्रि पीपार मै हेमजी स्वामी राखी। भीखणजी स्वामी भारमलजी स्वामी री रीत थी। ग्रहस्थ री थकी पाडिहारी राखता, तिण सुं राखी। जद भेखधारी कदाग्रह घणो कीयौ । अणहूंतो दोष बतावा लागा । ऋण हि गांम वाला जीवोजी नै कह्यौ-- ग्रहस्थ री थकी पिण छुरी रात्रि राखणी नहीं। जद जीवोजी बोल्यौ-इण में कांई दोष ? जद भेषधारी बोल्या-रात्रि माहोमाहि झगड़ी थाय रीस रै वस छुरी सं मरै तथा मारे, ए दोष। - जद जीवोजी बोल्यौ-तौ नांगला, डोरयां पिण न राखणी डोरी सं पिण पासी खाय ऊभा रहै, तौ थारै लेखै डोरी राख्यां पिण दोष है। २३. दोय तो म्हैं कह्या आगै थे कहो स्वामीजी रा श्रावक नै भेषधारी बोल्या-छै काया रा नाम आवै है ? जद तिण कह्यौ-आवै है, प्रथीकाय अपकाय इत्यादि नाम कह्या जद भेषधारी बोल्यौ-ओ तो गोत है, नाम कठे है ? - जद उण श्रावक नै २ ई नाम आवता हा सो बोल्यौ-इंदी थावरकाय, बंभी थावरकाय ए-२ नाम कह्या। जद भेषधारी बोल्यौ-आगै कही। ___ जद ऊ श्रावक बोल्यौ---म्हां कनै सीखण मते है दोय तौ म्हैं कह्या थांने भावै तौ आगै कही।
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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