SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीस राजस्थानी पृष्ठांक हिन्दी पृष्ठांक २८१ २८१ २८२ २८२ २८२ २८३ २४३ २४३ २४४ २४४ २४४ २४५ २४६ २४६ २४७ २४७ २४७ २४८ २४८ २४८ २४९ २४९ २४९ २४९ २८४ २८४ २८४ २८५ २८५ २८५ क्रमांक परिशिष्ट-१ हेम संस्करण १. इतरी चरचा इं मौन न आवै कांई ? २. नरक पिण अजीव जासी ३. म्हातूं चरचा कांई करी ? ४. कांई जाण ने बतायो ? ५. हेमजी चरचा करसो ? ६. दूजी चरचा करो ७. म्हे क्यांन जावां ८. भीखणजी उपगार मान है ९. थांरी श्रद्धा थां कन, म्हारी म्हां कनै १०. किण रा टोळा री? ११. थे तो जीवता बैठा हो ? १२. हिंसा सूं धर्म उठ गयो १३. इतरी फेर क्यूं ? १४. म्हांनै असूझतौ लेणी नहीं १५. पूण्यां तो कतणीयां में मोकळी दीसे है १६. कांई सूस करूं? १७. ओ मनोरथ तो फळतो दीस नहीं १८. कांई श्रद्धौ ? १९. अव्रत डावी कानी के जीमणी कानी ? २०. तीन मिक्छामि दुक्कडं २१. कांई चरचा करण रौ मन है ? २२. समकित आवणी दोरी २३. आछो देव उपदेश २४. छेहड़े संथारी करशां २५. पहिला पुन्य पछ निर्जरा २६. शुभ जोग आश्रव के निर्जरा ? २७. समदृष्टि री मति ते मतिज्ञान २८. दोयां में एक झूठ २९. दुमनो चाकर दुसमण सरीखौ ३०. भरत क्षेत्र में साधां रो विरह ३१. त्याग क्यूं भंगावो? ३२. चरचा इसी करता तो किसायक दीसता ? ३३. ऊंडी दृष्टि ३४. संका हुवै तौ चरचा पूछल्यो २८५ २८६ २८६ २८६ २८६ २८७ २८७ २८७ २८९ २५० २५० २५२ २५४ २९१ २९१ २५४ २५५ २५५ २९२ २५५ २९२ २९२ २९२ २९३ २५६ २५६ २५७ २९३ २५७ २५८ २५८ २५९ २९३ २९४ २९५. २९६ २५९ . २९६
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy