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________________ चौबीस क्रमांक १०३. भीखणजी थे इ मांजो १०४. थाली भांगी नहीं १०५. लुगायां गाळ्यां गावा लागी १०६. गैहणो कठासूं आसी ? १०७. इसी दोहरो जद मुक्ति मिले १०८. दोय घड़ी तौ सांस रोक ही रहां १०९. म्हारी मा घणी रोई ११०. ढंढण रे अंतराय १११. तमाखू चोखी तो है नहीं ? ११२. ते बुद्धि किण कामरी ? ११३. लातर गया ११४. सम्यग्दृष्टि ? ११५. समदृष्टि ११६. बणी बणाई बांमणी ११७. इसा भीखणजी कलावान ११. त्याग क्यूं करो हो ? ११९. लागा डाम पाछा लेणी आवे ? १२०. क्लामना बिना निर्जरा १२१. धान माटी सरीखी लागे १२२. साधां ₹ असाता क्यूं ? १२३. चरचा कियां करणी ? १२४. हाथ में कांई आयो ? १२५. आपरी नाम कांई ? १२६. मिश्र री सरधा १२७. आरंभ घणो हुवो १२८. भरणवालौ बूड़े के मारणवाली ? १२९. उपकार संसार नौ क मोक्ष नौ ? १३०. साधु किण नै सराव ? १३१. पाग कठा सूं आई ? १३२. चरचा घर धणी री तरं १३३. न्याय रा अर्थी नहीं १३४. भगवान रो मारग पातसाई रस्तो १३५. वर्तमान में हुवे तिको इज खरी १३६. पाप उणाने लागसी १३७. नफौ भाव परमाण राजस्थानी पृष्ठांक ४२ ४२ ४३ ४३ ४३ ૪૪ ४४ ४४ ४४ ४५ ४५ ४५ ४६ ४७ ४८ ४९ ४९ ५० ५० ५० ५० ५० ५१ ५१ ५१ ५१ ५२ ५२ ५३ ५३ ५३ ५४ ૫૪ ५४ ५५ हिन्दी पृष्ठांक १६४ १६४ १६४ १६५ १६५ १६५ १६६ १६६ १६६ १६६ १६७ १६७ १६७ १६८ १६९ १७१ १७१ १७१ १७१ १७२ १७२ १७२ १७२ १७३ १७३ १७३ १७३ १७४ १७४ १७५ १७५ १७५ १७५ १७६ १७६
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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