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________________ क्रमांक ६७. भागल कुण ? साबत कुण ? ६८. जनमपत्री तौ पर्छ बर्ण ६९. फुजाळ्या साऊ न हुदै ७०. आचार्य पदवी आणी कठिन ७१. विवेक ७२. म्हांने पुण्य किसतरै हुसी ? ७३. मूरख हु ते मान ७४. बुद्धि सूं विचारय ७५. कहणी करणी में फेर ७६. दोनूं साचा ७७. चार आंगुल बटकै र वासते ७८. इण में संकारी के बात ? ७९. साहूकार, देवाळ्यो पंचा ने पूछ ८०. ८१. बड़ो मूरख ८२. रखे, नवो कीजयी करोला ८३. ॐ कांई दुःख थो ? ८४. श्रावक नै समजाय लेवां ८५. आज तो रहवां हा ८६. इसी विणती कीजो मती ८७. भगवान र घर रा कासीद ८८. सो कुण देख्या ? ८९. आप री करणी मोटी है ९०. समदृष्टि र पाप लागे ? ९१. एक भीखण बाकी रह्यौ है ९२. खाधी तौ मिश्री, जाण्यौ जहर ९३. आ वांचणी कुण दीधी ? ९४. थारी कांई आसंग ? ९५. इसो अन्याय तो म्हे न करां ९६. सोभाचन्द सेवग निरापेखी है ९७. फूलां रौ दृष्टांत न मिले ९८. साध इज बाजे ९९. किमत तूं कर लै १००. साध कुंण ? असाध कुंण ? १०१. म्हारो तौ जीव जावै है ? १०२. ऊ तो अवसर उण वेळां इज तेईस राजस्थानी पृष्ठांक हिन्दी पृष्ठांक २५ १४६ २५ १४६ २६ २६ २६ २६ २७ २७ २७ २८ २८ २९ २९ २९ ३० ३० ३१ ३१ ३१ ३१ ३१ ३२ ३२ ३२ ३४ ३७ ३७ ३७ ३८ ३९ ४० ४१ ४१ ४१ ४१ ४२ १४६ १४७ १४७ १४७ १४८ १४८ १४८ १५० १५० १५० १५० १५१ १५१ १५१ १५२ १५२ १५२ १५२ १५२ १५३ १५३ १५४ १५५ १५८ १५९ १५९ १५९ १६१ १६२ १६२ १६३ १६३ १६३ १६३
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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