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________________ पचीस राजस्थानी पृष्ठांक हिन्दी पृष्ठांक १७६ १७७ १७७ १७८ १७८ १७८ १७८ १७८ १७९ १७९ १७९ १८१ १८२ १८२ १८२ १८२ १८३ १३८. बैरी नै पोख, ते पिण बैरी १३९. धर्म कठा सं? १४०. मोख रो उपकार १४१. भारे करी माठी गति में जाय १४२. हळकापणा रै जोग स्यूं तिरै १४३. जीव हळको किम हुवै ? १४४. कुबद कर नै आप अळगो रहै १४५. जद तो म्हे हा ही नहीं १४६. थे बेराजी क्यूं ? १४७. संलेखणा करणी पड़सी १४८. गहूं गहूं और खाखलो खाखलो १४९. जतन दया रौ के कीड़ी रौ? १५०. ते ठीक ही छ १५१. इसा अजाण है १५२. भगवती किसो अधम्मो मंगल है ? १५३. गधे री बात क्यूं करो ? १५४. पांचू नै साथ छोड़ी १५५. समाई नहीं तौ संवर १५६. कठेइ सूत्र में चाल्यो इज हुवेला ? १५७. गोहां री दाल न हवे १५८. इतरा कारीगर नहीं १५९. केवली सूत्र व्यतिरिक्त इज हुवै १६०. किसो केलू ल्यासी ? १६१. दुरंगा क्यूं रंगो? १६२. खूचणां काढ़ता १६३. इसा वनीत बणीरामजी १६४. इसा स्वामीजी अवसर ना जाण १६५. आंख्यां गमावता दीसे है १६६. ते लेवा जोग नहीं १६७. जायगा माप आवो १६८. कच्चो तेहिज १६९. आंगुण किणरा सूझ्या ? १७०. कांण राखै ज्यू कोई नहीं १७१. कारणीक रो जाबतो करता १७२. थारै आ संका कठा सूं पड़ी? १८३ १८३ १८४ १८४ १८४ १८४ १८४ १८५ १८५ १८५ १८५ १८६ १८६ १८६ १८७ १८७ १८७
SR No.032435
Book TitleBhikkhu Drushtant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya, Madhukarmuni
PublisherJain Vishva harati
Publication Year1994
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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