SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 230
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ म्हारा पूज्य परम गुरु ! प्यारा लागो जी, सूरज चांदै-सी आभा आवै याद | म्हांरा ... ही हो छोगाजी रा छावा ! आछा लागोजी । । ८. साल छियासी चंदेरी में पावस ठव्यो, म्हांरा पूज्य ..., सोळह बरसां स्यूं हुई फलवती आश, हो म्हांरा पूज्य... । श्रमण सताई सत्तावन श्रमणी शोभती, म्हांरा पूज्य ..., दुःषम आरै में सतजुग रो आभास, हो म्हांरा पूज्य ... ।। ६. दोन्यूं हेल्यां बैदां री लागै दीपती, प्रवचन - मंडप में नित मधुरो व्याख्यान ।। सावण-भादो में सामूहिक तप शोभतो, खूब बढ़ायो मम मातृभूमि रो मान ।। १०. उण चोमासै सिद्धांतचन्द्रिका है पढ़ी, राते घंटां भर चांद चानणै बैठ | प्रातः गुरु-मुख स्यूं नयो पाठ बंचावता, रटता ऊंचे स्वर चित - चंचलता मेट ।। ११. पश्चिम रात्रे प्रत्यावर्तन गुरु पास में, बे दिन आवै है अब लों याद हमेश । सान्वय दसवेयालिय सिंदूरप्रकर कर्यो, भीमजि- स्वामी रो ओ आभार विशेष ।। १२. तिण चउमासे इक भीषणतम घटना घटी | सोहन - चूरू पर घिरी अंधेरी रात।। पाछो संभळ्यो तो उदाहरण मुश्किल मि भैक्षवगण में इतिवृत्त बण्यो विख्यात ।। 1 दोहा १३. पावस पूरयां चतुरगढ़, बीदासर दे दर्श । राजलदेसर में करयो, पावन पदरज स्पर्श ।। १. लय : चंदन चोक्यां में सरस बखाण २. देखें प. १ सं. ६८ ३. देखें प. १ सं. ६६ २२६ / कालूयशोविलास-१
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy