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________________ महावीरकालीन सामाजिक और राजनैतिक स्थिति और नष्ट किया जाता था । इसमें अश्व सारथी एवं योद्धाओं रहित केवल एक रथमूसल सहित अत्यन्त जनसंहार, जनप्रलय के समान रक्त का कीचड़ करता हुआ चारों ओर दौड़ता था ( भगवती, 7.9.188 [155])। 49 रथमूसल संग्राम में चेटक के सगड व्यूह और कूणिक के गरुड़ व्यूह का विवरण है (निरयावलिका, 1.136-137 [ 156 ] ) । आजीवक मंखली गोशाल ने आठ चरमों में सातवां चरम महाशिलाकंटक युद्ध को गिना है ( भगवती, 15.121 [157]) | कूणिक ने इन युद्धों में नौ मल्लकी और नौ लिच्छवी काशी कौशल के अठारह गणराजाओं को परास्त किया (I. भगवती, 7.9.173, 182, II. निरयावलिका, 1.127 [158]) | निष्कर्षतः इन दो युद्धों में कूणिक राजा की विजय हुई और चेटक राजा की हार हुई | उसके सिर पर जीत का सेहरा बंधा। बाद में उसने राजनीतिक एकता के लिए नंद और मौर्य के नेतृत्व में सभी दिशाओं में मगध राज्या विस्तार किया । अजातशत्रु के राज्य में मगध, अंग, वैशाली और वाराणसी (बनारस) उत्तर में आतें थे। इससे स्पष्ट हो जाता है कि इन दो युद्धों में वैशाली और काशी कूणिक के अधिकार में आ गए ।' गणतंत्र - शासन महावीर युग में नृपतंत्रात्मक शासन पद्धति के अतिरिक्त सबल गणतांत्रिक शासन पद्धति भी लोकप्रिय थी । इन लोकतांत्रिक राज्यों की संज्ञा गण अथवा संघ थी और इस कारण नृपतंत्रात्मक राज्यों से इनकी भिन्नता व्यक्त की जाती थी । आचारचूला में श्रमण-श्रमणियों को राजा - रहित, युवराज शासित, दो राजा वाले और गणतंत्र राज्यों में प्रवास नहीं करने का विधान है ( आचारचूला, 3.1.472 ब्या. प्र. [159])। इस विवरण से महावीर युगीन शासन पद्धतियों पर प्रकाश पड़ता है। 1. The empire of Ajātaśatru comprised Magadha, Anga, Varanasi (Benaras ), and Vaiśalī in the north. So it is clear that the result of two great warsMahāśilākaṇṭaka and Rathamusala was the final annexation of Vaisālī and Kāśī by the king Kūņika to his state. J.C. Sikdar, Studies in the Bhagwati Sutra,p.75,f.n. 3.
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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