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________________ 316 जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद षष्ठ अध्याय के मूल संदर्भ 410-I. मज्झिमनिकाय, मज्झिमपण्णासक, 3.26.15 ....नन्दं वच्छं, किसं संकिच्चं, मक्खलिं गोसालं ति। II. भगवती, 15.101 इमे सत्त पउट्टपरिहारे परिहरामि, तं जहा-1. एणेज्जस्स 2. मल्लरामस्स 3. मंडियस्स 4. रोहस्स 5. भारदाइस्स 6. अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स 7. गोसालस्स मक्खलिपुत्तस्स। 411. पाणिनी व्याकरण, 6.1.154 मस्करमस्करिणौ वेणुपरिव्राजकयोः। 412. गोम्मटसार, कर्मकाण्ड, 882 जत्तु जदा जेण जहा जस्स य णियमेण होदि तत्तु तदा। तेण तहा तस्स हवेइदि वादो णियदिवादो दु।। 413. सन्मतितर्क प्रकरण, 3.53 कालो सहाव णियई, पुव्वक्यं पुरिस कारणेगता। मिच्छत्तं ते चेव उ समासओ होति सम्मत्तं ।। 414. तत्त्वार्थसूत्र, 5.42 अनादिरादिमांश्च 415. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गाथा 244 सव्वाण पज्जयाणं अविज्जमाणाण होदि उप्पत्ती। कालाई-लद्धिए अणाइ-णिहणम्मि दव्वम्मि।। 416. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गाथा 219 कालाइलद्धिजुत्ता णाणासत्तीहि संजुदा अत्था। परिणममाया हि सयं ण सक्कदे को वि वारेहूँ।। 417. सूत्रकृतांग, I.1.2.28 आघायं पुण एगेसिं उववण्णा पुढो जिया। वेदयंति सुहं दुक्खं अदुवा लुप्पंति ठाणओ।। 418. सूत्रकृतांग, I.1.2.29-30 ण तं सयं कडं दुक्खं ण य अण्णकडं च णं। सुहं वा जइ वा दुक्खं सेहियं वा असेहियं ।।29 ण सयं कडं ण अण्णेहिं वेदयंति पुढो जिया। संगइयं तं तहा तेसिं इहमेगेसिमाहियं ।।30 419. सूत्रकृतांग, II.1.39, 41 अहावरे चउत्थे पुरिसजाते णियतिवाइए त्ति आहिज्जइ... 139
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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