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________________ 258 जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद 46. सोभाकरं 47. दोभाकरं 48. विज्जागयं 49. मंतगयं 50. रहस्सगयं 51. सभासं 52. चारं 53. पडिचारं 54. वूहं 55. पडिवूहं 56. खंधावारमाणं 57. नगरमाणं 58. वत्थुमाणं 59. खंधावार निवेसं 60. नगरनिवेसं 61. वत्थुनिवेसं 62. ईसत्थं 63. छरूप्पगयं 64. आससिक्खं 65. हत्थिसिक्खं 66. धणुव्वेयं 67. हिरण्णपागं सुवण्णपागं मणिपागं धातुपागं 68. बाहुजुद्धं दंडजुद्धं मुट्ठिजुद्धं अट्ठिजुद्धं जुद्धं निजुद्धं जुद्धातिजुद्धं 69. सुत्तखेड्डं नालियाखेड्ड वट्टखेड्डं 70. पत्तच्छेज्ज कडगच्छेज्जं पत्तगच्छेज्जं 71. सज्जीवं निज्जीवं 72. सउणरूयं । II. ज्ञाताधर्मकथा, I.1.85 बावतरि कलाओ.....तं जहा-1. लेहं, 2. गणियं, 3. रूवं, 4. नट्ट, 5. गीयं, 6. वाइयं, 7. सरगयं, 8. पोक्खरगयं, 9. समतालं, 10. जूयं, 11. जणवायं, 12. पासयं, 13. अट्ठावयं, 14. पोरेकव्वं, 15. दगमट्टियं, 16. अण्णविहिं, 17. पाणविहिं, 18. वत्थविहिं, 19. विलेवणविहिं, 20. सयणविहिं, 21. अज्जं, 22. पहेलियं, 23. मागहियं, 24. गाहं, 25. गीइयं, 26. सिलोयं, 27. हिरण्णजुत्तिं, 28. सुवण्णजुत्तिं, 29. चुण्णजुत्तिं, 30. आभरणविहिं, 31. तरुणीपडिकम्म, 32. इथिलक्खणं, 33. पुरिसलक्खणं, 34. हयलक्खणं, 35. गयलक्खणं, 36. गोणलक्खणं, 37. कुक्कुडलक्खणं, 38. छत्तलक्खणं, 39. दंडलक्खणं, 40. असिलक्खणं, 41. मणिलक्खणं, 42. कागडिलक्खणं, 43. वत्थुविज्जं, 44. खंधारमाणं, 45. नगरमाणं, 46. हं, 47. पडिवूह, 48. चारं, 49. पडिचारं, 50. चक्कवूह, 51. गरुलवूहं, 52. सगडवूह, 53. जुद्धं, 54. निजुद्धं, 55. जुद्धाइजुद्धं, 56. अहिजुद्ध, 57. मुट्ठिजुद्धं, 58. बाहुजुद्धं, 59. लयाजुद्धं, 60. ईसत्थं, 61. छरुप्पवायं, 62. धणुवेयं, 63. हिरण्णपागं, 64. सुवण्णपागं, 65. वट्टखेडं, 66. सुत्तखेडं, 67. नालियाखेडं, 68. पत्तच्छेज्जं, 69. कडच्छेज्जं, 70. सज्जीवं, 71. निज्जीवं, 72 सउणरुत्तं ति। III. औपपातिक, 146 ....बावतरिं कलाओ .....तं जहा-1. लेहं, 2. गणियं, 3. रूवं, 4. णटुं, 5. गीयं, 6. वाइयं, 7. सरगयं, 8. पुक्खरगयं, 9. समतालं, 10. जूयं, 11. जणवायं, 12. पासगं, 13. अट्ठावयं, 14. पोरेकव्वं, 15. दगमट्टियं, 16. अण्णविहिं, 17. पाणविहिं, 18. वत्थविहिं, 19. विलेवणविहिं, 20. सयणविहिं, 21. अज्जं, 22. पहेलियं, 23. मागहियं, 24. गाहं, 25. गीइयं, 26. सिलोयं, 27. हिरण्णजुत्तिं, 28. सुवण्णजुत्तिं, 29. गंधजुत्तिं, 30. चुण्णजुत्तिं, 31. आभरणविहिं, 32. तरुणीपडिकम्म, 33. इत्थिलक्खणं, 34. पुरिसलक्खणं, 35. हयलक्खणं, 36. गयलक्खणं, 37. गोणलक्खणं, 38. कुक्कुडलक्खणं, 39. छत्तलक्खणं, 40. दंडलक्खणं, 41. असिलक्खणं, 42. मणिलक्खणं, 43. काकणिलक्खणं, 44. वत्थुविज्जं, 45. खंधावारमाणं, 46. नगरमाणं, 47. वूह, 48. पडिवूह, 49. चारं, 50. पडिचारं, 51. चक्कवूह, 52. गरुलवूह, 53. सगडवूह, 54. जुद्धं, 55. निजुद्धं,
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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