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________________ टिप्पण (Notes & References) 259 56. जुद्धाइजुद्धं, 57. मुट्ठिजुद्धं, 58. बाहुजुद्धं, 59. लयाजुद्धं, 60. ईसत्थं, 61. छरुप्पवादं, 62. धणुवेदं, 63. हिरण्णपागं, 64. सुवण्णपागं, 65. वट्टखेड्डु, 66. सुत्तखेड्९, 67. णालियाखेड्डु, 68. पत्तच्छेज्जं, 69. कडगच्छेज्जं, 70. सज्जीवं, 71. निज्जीवं, 72. सऊणरुयं- इति। IV. राजप्रश्नीय, 806 ...बावतरं कलाओ ...तं जहा-1. लेहं, 2. गणियं, 3. रूवं, 4. नट्ट, 5. गीयं, 6. वाइयं, 7. सरगयं, 8. पुक्खरगयं, 9. समतालं, 10. जूयं, 11. जणवायं, 12. पासगं, 13. अट्ठावयं, 14. पोरेकव्वं, 15. दगमट्टियं, 16. अन्नविहिं, 17. पाणविहि, 18. वत्थविहिं, 19. विलेवणविहिं, 20. सयणविहिं, 21. अज्जं, 22. पहेलियं, 23. मागहियं, 24. गाहं, 25. गीइयं, 26. सिलोगं, 27. हिरण्णजुत्तिं, 28. सुवण्णजुत्तं, 29. आभरणविहिं, 30. तरुणीपडिकम्म, 31. इत्थिलक्खणं, 32. पुरिसलक्खणं, 33. हयलक्खणं, 34. गयलक्खणं, 35. गोणलक्खणं, 36. कुक्कुडलक्खणं, 37. छत्तलक्खणं, 38. चक्कलक्खणं, 39. दंडलक्खणं, 40. असिलक्खणं, 41. मणिलक्खणं, 42. कागणिलक्खणं, 43. वत्थुविज्जं, 44. णगरमाणं, 45. खंधावारमाणं, 46. चारं, 47. पडिचारं, 48. वूह, 49.पडिवूह, 50. चक्कवूह, 51. गरुलवूह, 52. सगडवूह, 53. जुद्धं, 54. निजुद्धं, 55. जुद्धजुद्धं, 56. अट्ठिजुद्धं, 57. मुट्ठिजुद्धं, 58. बाहुजुद्धं, 59. लयाजुद्धं, 60. ईसत्थं, 61. छरुप्पवायं, 62. धणुवेयं, 63. हिरण्णपागं, 64. सुवण्णपागं, 65. सुत्तखेड्डु, 66. वट्टखेड्डु, 67. णालियाखेडं, 68. पत्तच्छेज्ज, 69. कडगच्छेज्जं, 70. सज्जीवं, 71. निज्जीवं, 72. सउणरुयं इति। V. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, 2.64 ... बावत्तरि कलाओ ... VI. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिवृत्ति, 2, पत्र 120 .....द्वासप्ततिकला यथा-1. लेहं, 2. गणियं, 3. रूवं, 4. नट्ट, 5. गीअं, 6. वाइअं, 7. सरगयं, 8. पोक्खरगयं, 9. समतालं, 10. जूअं, 11. जणवायं, 12. पासयं, 13. अट्ठावयं, 14. पोक्खव्वं, 15. दगमट्टिअं, 16. अन्नविहिं, 17. पाणविहिं, 18. वत्थविहिं, 19. विलेवणविहिं, 20. सयणविहिं, 21. अज्जं, 21. पहेलिअं, 23. मागहिअं, 24. गाहं, 25. गीअं, 26. सीलीगं, 27. हिरण्णजुत्तं, 28. सुवणज्जुत्तिं, 29. चुण्णज्जुत्तिं, 30. आभरणविहिं, 31. तरुणीपडिकम्म, 32. इत्थिलक्खणं, 33. पुरिसलक्खणं, 34. हयलक्खणं, 35. गयलक्खणं, 36. गोणलक्खणं, 37. कुक्कुडलक्खणं, 38. छत्तलक्खणं, 39. दंडलक्खणं, 40. असिलक्खणं, 41. मणिलक्खणं, 42. कागणिलक्खणं, 43. वत्थुविज्झं, 44. खंधावारमाणं,
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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