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________________ सप्तम अध्याय महावीरकालीन अन्य मतवाद 1. जैन आगमों में विभिन्न मतवादों के उल्लेख का कारण छठी सदी ई.पू. का युग क्रांतिकारी रचनात्मक सुधारवादी प्रवृत्तियों के लिए न केवल भारतवर्ष में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में महत्त्वपूर्ण काल माना जाता है । यह जागरण एवं जिज्ञासा का युग था । इस समय सहसा समकालीन और सुनिश्चित स्वतंत्र सभ्यताओं के केन्द्रों पर धार्मिक आन्दोलन शुरू हुए। जहां सब धर्मों के विचारों में पुनर्जागरण हो रहा था, इस युग में चीन में दार्शनिक, जैसे-फंग यू लॉन (Fung Yu Lan), कन्फ्यूशियस, लाओत्सो ने धार्मिक चेतना जागृत की और ग्रीस में सोफिस्ट तथा भारत में भी नए-नए बौद्धिक विचारों का उद्भव हो रहा था । मानव जाति के लिए वह समय नवज्योति का था । जब .. हम उस समय के इतिहास की भौतिक व्याख्या करते हैं तो वह समय सामाजिक प्राणी में परिवर्तन लाने का समय था । इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि जहां पर बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास हो रहा था, वहीं पर महत्त्वपूर्ण अर्थशास्त्रीय एवं राजनीतिक बदलाव भी भारत, चीन तथा सम्पूर्ण विश्व में हो रहे थे, जिन्होंने ऐसी प्रश्न करने वाली (तार्किक ) मानव-चेतना "का जागरण कर दिया, जो सामाजिक बदलाव का अनुभव कर रहे थे। भारतवर्ष में इस युग में नये धार्मिक आन्दोलनों के उत्थान और पुराने धर्मों में सुधारवादी परिवर्तन एवं स्वतंत्र विचारों का उद्भव हुआ। जैनों के सूत्रकृतांग एवं भगवती आदि ग्रन्थों में अनेक नास्तिक दार्शनिक सम्प्रदायों का उल्लेख है। बौद्धों के सामञ्ञफलसुत्त और दीघनिकाय के अन्तर्गत ब्रह्मजाल सुत तिरसठ श्रमण सम्प्रदाय का उल्लेख करते हैं। इसी तरह श्वेताश्वतर उपनिषद् में कालवाद, स्वभाववाद, नियतिवाद आदि मतवादों का उल्लेख है। इन सम्प्रदायों की संख्या के बारे में जो विवरण मिलते हैं वे अतिरंजित मालूम प्रतीत होते हैं। क्योंकि उस युग में ऐसी प्रवृत्ति प्रचलित थी और ऐसा भी नहीं मानना चाहिए कि वे स्वतन्त्र धार्मिक पंथ और सम्प्रदाय थे। क्योंकि इन मतवादों के सिद्धान्त और व्यवहार में बहुत साधारण अन्तर था । यह कहना तो गलत होगा कि इन सब मत-मतान्तरों की उत्पत्ति एक ही समय हुई परन्तु
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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