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________________ जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद आदि) के नाटकों में विभिन्न पात्र नियति के फेर में ही उलझे हुए नजर आते हैं। ओडीपसरेक्स की कहानी हमें बताती है कि किस प्रकार पूर्ण प्रयत्न करने पर भी वह अपने आप को अपने पिता की हत्या और अपनी माता के साथ विवाह करने से जो उसके भाग्य में बंधे थे, बचा नहीं सका । होमर के काव्य में हैक्टर और एंड्रोमांश का एक दूसरे से अलग होना नियति का एक और उदाहरण है। शेक्सपीयर के नाटकों में भी कलाकार को हम अपने पात्रों को उनकी दुर्बलताओं से ही उनके लक्ष्य की ओर ले जाते हुए देखते हैं । लीयर में यह दुर्बलता अपराध पूर्ण भूल के रूप में दिखाई देती है । नियति के कारण ही हेमलेट का दिमाग चकरा जाता है और उनकी इच्छाशक्ति विभ्रम में पड़ जाती है । ओथेलो अपनी पत्नी को मार डालता है और फिर आत्मघात भी कर लेता है। यहां तक कि ग्रीक साहित्य की दुःखान्त रचनाओं में नियति को ही बुरे ग्रह नक्षत्रों के कारण रूप में माना जाता है । 180 इस प्रकार हम देखते हैं कि नियतिवाद का सम्बन्ध भारतीय विचारधारा से भी है और उसका महत्त्व व्यावहारिक जीवन में भी माना गया है। भारतीय जन-जीवन अपनी सफलताओं पर भाग्य अर्थात् नियति की ही दुहाई देते हुए दिखाई देते हैं । घोर से घोर कष्ट को नियतिवश ही स्वीकार कर जीवित रह लेते हैं। साधारणतः लोगों में मुंह से यह कहते हुए सुना जाता है कि “भाग्य फलति सर्वत्र, न विद्या न च पौरुषम् ।" राधाकृष्णन् के शब्दों में- " यद्यपि आत्मा पूर्व निर्धारित घटनाओं (नियति) के बंधन से सर्वथा मुक्त नहीं है, तो भी वह अतीत को कुछ हद तक पराभूत कर नये पथ की ओर प्रवृत्त और निर्देशित कर सकती है। मनुष्य अपनी स्वतंत्रता से अनिवार्य (नियति) को अपने लिये उपयोगी बना लेता है । इसी अर्थ में मानव को स्वतंत्र कर्त्ता माना गया है । व्यक्ति की इस स्वतंत्र इच्छा शक्ति के नियोजन के बदले मात्र भाग्य के प्रवाह में अपने आप को बहा देना निष्क्रियता अथवा पंगुता की निशानी है, जो कतई अपेक्षित नहीं । जीवन को सक्रिय, प्राणवान एवं कर्त्तव्यनिष्ठ बनाने के लिए महावीर द्वारा प्रतिपादित नियति एवं पुरुषार्थ का समन्वित दर्शन ही उपादेय है ।
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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