SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 164 जैन आगम ग्रन्थों में पञ्चमतवाद 33. मोक्ष स्वतः नित्य नियति से 34. मोक्ष स्वतः अनित्य नियति से 35. मोक्ष परतः नित्य नियति से 36. मोक्ष परतः अनित्य नियति से अक्रियावादी में नियतिवाद के भेद1. नास्ति जीव स्वतः नियति से 2. नास्ति जीव परतः नियति से 3. नास्ति अजीव स्वतः नियति से 4. नास्ति अजीव परतः नियति से 5. नास्ति आस्रव स्वतः नियति से 6. नास्ति आसव परतः नियति से 7. नास्ति बंध स्वतः नियति से 8. नास्ति बंध परतः नियति से 9. नास्ति संवर स्वतः नियति से 10. नास्ति सवंर परतः नियति से 11. नास्ति निर्जरा स्वतः नियति से 12. नास्ति निर्जरा परतः नियति से 13. नास्ति मोक्ष स्वतः नियति से 14. नास्ति मोक्ष परतः नियति से प्रश्नव्याकरण के अनुसार जीव जगत् में जो भी सुकृत या दुष्कृत घटित होता है, वह दैवप्रभाव से होता है। इस लोक में कुछ भी ऐसी नहीं है जो कृतक तत्त्व हो। लक्षणविधान की की नियति है (प्रश्नव्याकरण, I.2.6,8 [430])। प्रश्नव्याकरण के टीकाकार अभयदेवसूरी के अनुसार नियतिवादियों की मान्यता है कि पुरुषकार को कार्य की उत्पत्ति में कारण मानने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसके बिना नियति से ही समस्त प्रयोजनों की सिद्धि हो जाती है (प्रश्नव्याकरणवृत्ति, I.2.7 [431])। ___ जो पदार्थ नियति के बल के आश्रय से प्राप्तव्य होता है वह शुभ या अशुभ पदार्थ मनुष्यों (जीवमात्र) को अवश्य प्राप्त होता है। प्राणियों के द्वारा महान् प्रयत्न करने पर भी अभाव्य कभी नहीं होता है। तथा भावी का नाश नहीं होता है (प्रश्नव्याकरणवृत्ति, I.2.8 [432])। आचारांगसूत्र पर आचार्य शीलांक द्वारा रचित टीका में भी नियतिवाद का उल्लेख सम्प्राप्त होता है-कुछ मतावलम्बी नियति से ही वस्तु के स्वरूप का निर्धारण करते हैं। यह नियति क्या है तो उसके संबंध में कहा गया है कि पदार्थों का आवश्यक रूप से जिस प्रकार होना पाया जाए उसमें प्रयोजककी नियति होती है। जैसा कि कहा गया है-"नियतिबल के आश्रय से जो पदार्थ
SR No.032428
Book TitleJain Agam Granthome Panchmatvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandana Mehta
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2012
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy