SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जिसके संबंध में सुख का संवेदन होता है वह मूर्त है। जैसे आहार से . क्षुधा-शान्ति रूप सुख का संवेदन होता है। (2) वेदना का उद्भव-कर्म के संबंध में वेदना का उद्भव होता है। जैसे ___ अग्नि से ताप का अनुभव। (3) बाह्यबल का आधान-मिथ्यात्व आदि हेतुभूत बाह्य सामग्री से कर्म का उपचय होता है। इससे कर्म की शक्ति बढ़ जाती है। जैसे—स्नेह से अभिषिक्त घट परिपक्व होता है। (4) परिणामित्व-शरीर आदि के रूप में कर्म परिणामित्व परिलक्षित होता है। जैसे—दही का तक्र के रूप में परिणमन होने से दूध का परिणामित्व जाना जाता है। 143. कर्मों का अस्तित्व (सत्ता) कौनसे गुणस्थान तक है? ___उ. मोहनीय कर्म का अस्तित्व ग्यारहवें गुणस्थान तक रहता है। ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय और अन्तराय कर्म का बारहवें गुणस्थान तक अस्तित्व रहता है। शेष चार अघात्य कर्म का चौदहवें गुणस्थान तक अस्तित्व रहता है। 144. क्या शुभ-अशुभ कर्मों का बंध एक साथ होता है? उ. शुभ प्रवृत्ति के समय अशुभ व अशुभ प्रवृत्ति के समय शुभ कर्म का बंध नहीं होता। एक समय में एक का ही बंध होता है। यह योग से संबंधित है। कषाय, प्रमाद, अव्रत आदि से समय-समय पर अशुभ कर्म बंधता है, इस दृष्टि से शुभ-अशुभ दोनों कर्म साथ में बंध सकते हैं। 145. बंध के दो प्रकार कौनसे हैं? उ. ईर्यापथिक और साम्परायिक। 146. सूक्ष्म साम्परायिक बंध किसे कहते हैं? उ. सूक्ष्म का अर्थ है अल्प। वह अल्प इसलिए कि आयुष्य और मोहनीय को छोड़कर शेष छह कर्म प्रकृतियों का बंध शिथिल, अल्प कालस्थिति वाला, मंद अनुभाव वाला तथा अल्प प्रदेशाग्र वाला होता है। 147. क्या वीतराग के कर्म का बंध होता है? उ. वीतराग के कर्म का बंध होता भी है और नहीं भी। 11वें व 12वें तथा 13वें गुणस्थानों में योगों की चंचलता से दो समय की स्थिति का सातवेदनीय का बंध होता है इसे ईर्यापथिक बंध कहते हैं। 14वें गुणस्थान में अयोग अवस्था आ जाती है। अतः कर्मबंध भी नहीं होता है। ईर्यापथ बंध केवल वीतराग के ही होता है। 36. कर्म-दर्शन
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy