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________________ 989. तीर्थंकर नाम कर्म बंध के कितने कारण हैं और कौन-कौन से हैं? उ. तीर्थंकर नाम कर्म बंध के बीस कारण हैं (1) अरिहंत वात्सल्य (2) सिद्ध वात्सल्य (3) प्रवचन वात्सल्य __ (4) गुरु वात्सल्य (5) स्थविर वात्सल्य (6) बहुश्रुत वात्सल्य (7) तपस्वी वात्सल्य (8) अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग (9) दर्शन (10) विनय (11) आवश्यक (12) निरतिचार (13) क्षणलव-ध्यान (14) तप (15) त्याग (16) वैयावृत्त्य (17) समाधि (18) अपूर्व ज्ञानग्रहण (19) श्रुत-भक्ति __ (20) प्रवचन-प्रभावना। 990. तीर्थंकर नाम कर्म का बंध कब होता है? उ. तीर्थंकर भव के पूर्व तीसरे भव में। 991. तीर्थंकर नाम कर्म का उदय कब होता है? उ. तेरहवें, चौदहवें गुणस्थान में। 992. तीर्थंकर नाम कर्म का उदय हर केवली के होता है या नहीं? उ. नहीं। 993. त्रस दशक प्रकृतियां कौन-कौनसी हैं? उ. त्रस दशक प्रकृतियां-(1) त्रस, (2) बादर, (3) प्रत्येक, (4) __ पर्याप्त, (5) स्थिर, (6) शुभ, (7) सुभग, (8) सुस्वर, (9) आदेय, (10) यश:कीर्ति। 994. त्रस नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव को स्वतंत्र रूप से गमनागमन का सामर्थ्य उत्पन्न होता है उसे त्रस नाम कर्म कहते हैं। 995. त्रस किसे कहते हैं? उ. 1. ताप आदि से संतप्त होने पर जो छाया आदि की ओर गतिशील होते हैं वे त्रस हैं। 2. एक स्थान से दूसरे स्थान में स्वयं गमन करने वाले जीव त्रस कहलाते 3. जिन किन्हीं प्राणियों में सामने जाना, पीछे हटना, संकुचित होना, 208 कर्म-दर्शन
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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