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________________ 742. रति मोहनीय कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से पदार्थों के प्रति रुचि, राग, प्रीति उत्पन्न होती है, वह रति मोहनीय कर्म है। 743. अरति मोहनीय कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से पदार्थों के प्रति अरुचि, द्वेष, अप्रीति उत्पन्न होती है, वह अरति मोहनीय कर्म है। 744. भय मोहनीय कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से उद्वेग उत्पन्न होता है, भय उत्पन्न होता है, वह भय मोहनीय कर्म है। 745. भय उत्पत्ति के कारण कितने हैं? उ. भय उत्पत्ति के चार कारण हैं—(1) शक्ति का अभाव, (2) भय मोहनीय कर्म का उदय, (3) भय उत्पादक दृश्य देखना, बात सुनना, (4) सात प्रकार के भयों का चिन्तन करना। 746. भय के कितने प्रकार आगमों में वर्णित हैं? उ. स्थानांग सूत्र में भय के सात प्रकारों का उल्लेख किया हैं(1) इहलोक भय-सजातीय से भय, जैसे मनुष्य को मनुष्य से होने वाला भय। (2) परलोक भय-वीजातीय से भय, जैसे मनुष्य को तिर्यंच आदि से होने वाला भय। (3) आदान भय-धन आदि पदार्थों के अपहरण करने वाले से होने वाला भय। (4) अकस्मात भय—किसी बाह्य निमित्त के बिना ही उत्पन्न होने वाला भय, अपने ही विकल्पों से होने वाला भय। (5) वेदना भय-पीड़ा आदि से भय। (6) मरण भय-मृत्यु भय। (7) अश्लोक भय-अकीर्ति का भय। 747. शोक मोहनीय कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से आक्रन्दन आदि शोक उत्पन्न होता है (इष्ट-वियोग __में होने वाला दैन्यभाव), वह शोक मोहनीय कर्म है। 162 कर्म-दर्शन 19202
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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