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________________ मूढ़-गुण और दोषों से अनजान। व्युद्ग्राहित–दुराग्रही द्वारा जिसका विपरीत बोध सुदृढ़ हो जाता है।' 691. सम्यक्त्व ग्रहण के अपवाद क्या है?2 उ. सम्यक्त्व ग्रहण के पांच अपवाद हैं (1) राजाभियोग, (2) गणाभियोग, (3) देवताभियोग, (4) गुरुनिग्रह, (5) वृत्तिकान्तार। 692. सम्यक्त्व के कितने लक्षण हैं? उ. सम्यक्त्व के पांच लक्षण हैं 1. शम-क्रोध आदि कषायों की शान्ति। 2. संवेग—मोक्ष की अभिलाषा। 3. निर्वेद-संसार से विरति। 4. अनुकम्पा—प्राणीमात्र के प्रति दयाभाव। 5. आस्तिक्य-आत्मा, कर्म आदि में विश्वास। 693. सम्यक्त्व के कितने भूषण हैं? उ. सम्यक्त्व के पांच भूषण हैं (1) स्थैर्य-धर्म में स्थिर रहना। (2) प्रभावना-धर्म की महिमा बढ़ाना। (3) भक्ति-देव, गुरु और धर्म का बहुमान करना। (4) तीर्थसेवा-चरमतीर्थ की यथोचित सेवा करना। 694. सम्यक्त्व के कितने दूषण (अतिचार) हैं? उ. सम्यक्त्व को मलिन करने वाले पांच दूषण हैं (1) शंका-तत्त्व के प्रति संदेह करना। (2) कांक्षा—कुमत की वांछा करना। (3) विचिकित्सा-धर्म के फल प्राप्ति में संदेह करना। (4) परपाषण्डप्रशंसा–कुतत्त्वगामी व्यक्तियों की प्रशंसा करना। (5) परपाषण्डपरिचय–मिथ्यादृष्टि तथा व्रतभ्रष्ट पुरुषों का परिचय करना। 1. बृहत्कल्पभाष्य-5211 2. आवश्यक चूर्णि-2 पृ. 276-278 E कर्म-दर्शन 153
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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