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________________ हो तो उसी भव में क्षायिक सम्यक्त्वी मोक्ष में जाता है। यदि आयुष्य बांधा हो तो तीन भवों में मोक्ष जाता है। 674. क्षायिक सम्यक्त्वी तीन भव किस प्रकार करता है? उ. प्रथम क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्ति (मनुष्य) का भव, दूसरा नरक या देव का भव और तीसरे मनुष्य भव में मोक्ष में जाता है। 675. कौनसा क्षायिक सम्यक्त्वी नियमत: तीन भव करता है? उ. तीर्थंकर नाम कर्म वाला क्षायिक सम्यक्त्वी नियमत: तीन भव करता है। 676. क्षायिक सम्यक्त्वी चार भव किस प्रकार करता है? उ. पहला क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्ति का मनुष्य भव, दूसरा युगलिक का भव, तीसरा देव का भव और चौथे मनुष्य का भव, जहाँ से मोक्ष में जाता है। 677. क्षायिक सम्यक्त्वी पांच भव किस प्रकार करता है? उ. प्रथम क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्ति का भव, दूसरा देव अथवा नरक का भव, तीसरा मनुष्य का भव, चौथा देव का भव, पांचवां मनुष्य का भव जहाँ से मोक्ष में जाता है। 678. कौनसे संहनन वाले जीव को ही क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त होता है? उ. वज्रऋषभनाराच संहनन वाले जीव को ही क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त होती 679. क्या सम्यक्त्व का उच्छेद (समाप्ति) हो सकता है? उ. क्षायक सम्यक्त्व को छोड़कर शेष चार सम्यक्त्व का उच्छेद हो सकता है। 680. सम्यक्त्व प्राप्ति के बाद जीव संसार में कब तक परिभ्रमण कर सकता है? उ. सम्यक्त्व प्राप्ति के बाद जीव उसी भव में मुक्त हो सकता है। अधिकतम कुछ कम अर्धपुद्गल परावर्तन तक परिभ्रमण कर सकता है। 681. सम्यक्त्वी मरकर कहां जाता है? उ. सम्यक्त्वी दो प्रकार के होते हैं(1) औदारिक शरीरी (2) वैक्रिय शरीरी। औदारिक शरीरी अर्थात् मनुष्य और तिर्यंच। सम्यक्त्व प्राप्ति के बाद जब ये आयुष्य का बंध करते हैं, तो वे निश्चित ही देवगति में-उसमें भी केवल 150 कर्म-दर्शन 10202012900mmmmmmmm m
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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