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________________ 648. औपशमिक सम्यक्त्व कौनसे गुणस्थान तक रहता है? ____ उ. चौथे से ग्यारहवें गुणस्थान तक। 649. सास्वादन सम्यक्त्व से क्या तात्पर्य है? ___ उ. औपशमिक सम्यक्त्व से गिरने वाला जीव जब मिथ्यात्व को प्राप्त होता है तब अन्तराल में जो सम्यक्त्व होता है उसे सास्वादन सम्यक्त्व कहते हैं। __ यह दूसरे गुणस्थान में होती है। इसकी स्थिति छह आवलिका की होती है। 650. क्षायोपशमिक सम्यक्त्व किसे कहते हैं? उ. क्षायोपशमिक सम्यक्त्व का अर्थ है-उदीर्ण (उदयप्राप्त) मिथ्यात्व का विपाकोदय में वेदन कर देना, उसे क्षीण कर देना तथा शेष अनुदीर्ण मिथ्यात्व का उपशम करना। 651. क्षायोपशमिक सम्यक्त्व कौनसे गुणस्थान तक रहती है? ___ उ. चौथे से सातवें गुणस्थान तक। 652. वेदक सम्यक्त्व किसे कहते हैं? उ. क्षायिक सम्यक्त्व की प्राप्ति जब क्षायोपशमिक सम्यक्त्व से होती है, उसके अन्तिम समय में सातों प्रकृतियां (दर्शन सप्तक) प्रदेशोदय के रूप में अनुभूत होती हैं, उसे वेदक सम्यक्त्व कहते हैं। यह क्षायोपशमिक सम्यक्त्व का अन्तिम समय है। 653. वेदक सम्यक्त्व कौनसे गुणस्थान तक रहती है? उ. चौथे से सातवें गुणस्थान तक। 654. क्षायिक सम्यक्त्व किसे कहते हैं? उ. अनन्तानबंधी चतुष्क और दर्शन मोह की तीन-इन सात प्रकृतियों के क्षीण होने पर जो सम्यक्त्व प्राप्त होती है उसे क्षायिक सम्यक्त्व कहते हैं। जैसे चार ज्ञानों का अपगम होने पर शुद्ध केवलज्ञान प्रकट होता है, वैसे ही क्षयोपशम सम्यक्त्व के दूर होने पर क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त होता है। 655. क्षायिक सम्यक्त्व कौनसे गुणस्थान में होती है? उ. क्षायिक सम्यक्त्व चौथे से चौदहवें गुणस्थान तक तथा सिद्धों में होती है। 656. क्या क्षायिक सम्यक्त्वी जीव उपशम श्रेणी ले सकता है? ___उ. हां, ले सकता है। 657. सम्यक्त्व की स्थिति कितनी है? उ. 1. औपशमिक सम्यक्त्व-जघन्य उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त। 146 कर्म-दर्शन 18 ERE
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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