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________________ 442. अयोग्य को वाचमा देने से क्या होता है? उ. 1. आचार्य और श्रुत का अवर्णवाद होता है, अपयश होता है। 2. सूत्र और अर्थ की हानि होती है। 3. अयोग्य को वाचना देने वाला क्लेश का अनुभव करता है। और प्रायश्चित्त का भागी बनता है। 443. श्रुत ज्ञान के चौदह प्रकारों को परिभाषित करें? उ. 1. अक्षरश्रुत-वर्णाक्षरों के माध्यम से व्याख्या करना। 2. अनक्षरश्रुत-अंगुली आदि के संकेत से भावों को प्रकट करना। 3. संज्ञीश्रुत—गर्भजप्राणी का श्रुत। 4. असंीश्रुत-अमनस्क प्राणी का श्रुत। 5. सम्यक्श्रुत-सम्यक्त्वी जीव और मोक्ष का सहायक श्रुत। 6. मिथ्याश्रुत—मिथ्यात्वी जीव और मोक्ष का बाधक श्रुत। 7. सादिश्रुत-आदि सहित श्रुत। 8. अनादिश्रुत-आदि रहित श्रुत। 9. सपर्यवसितश्रुत-अन्त सहित श्रुत। 10. अपर्यवसितश्रुत-अन्त रहित श्रुत 11. गमिक श्रुत—जो रचना सदृश पाठ प्रधान है, वह गमिक श्रुत है। जैसे दृष्टिवाद। 12. अगमिकश्रुत—जिस श्रुत रचना में सदृश पाठ न हो वह अगमिक श्रुत है। आचारांग आदि। 13. अंगप्रविष्टश्रुत-गणधरों द्वारा रचे हुए आगम-आचारांग आदि। 14. अनंगप्रविष्टश्रुतगणधरों के अतिरिक्त अन्य आचार्यों द्वारा रचित ग्रन्थ। 444. जीव में श्रुतज्ञान की नियमा है या भजना? उ. श्रुतज्ञान नियमतः जीव है। जीव में तीन स्थानों से श्रृतज्ञान की भजना है—वह कभी श्रुतज्ञानी होता है, कभी श्रुतअज्ञानी होता है और कभी केवलज्ञानी होता है। 445. श्रुतज्ञान स्व-उपकारी है अथवा पर उपकारी? उ. श्रुतज्ञान से मति आदि चारों ज्ञान जाने जाते हैं तथा उनकी प्ररूपणा होती है। अत: चार ज्ञान स्व-उपकारी हैं और श्रुतज्ञान पर-उपकारी है। कर्म-दर्शन 101
SR No.032424
Book TitleKarm Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanchan Kumari
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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