SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 409
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ का निरोध होता रहता हैं। मस्तिष्क के सम्यग् - विकास में भी इसकी सहायता रहती है। वृद्धावस्था में इसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। थायमस और पिनियल ग्रंथि के स्राव समान रूप से कार्य करते हैं। एड्रीनल ग्रंथि- यह ग्रंथि शरीर के अग्नि तत्त्व का नियमन करती है। एड्रीनल का नियामक पिच्युटरी का अन्तःस्राव (ACTH / एड्रीनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन) है। हाईपोथेलेमस का स्राव प्रोलोक्टन इन्हीविटींग हार्मोन मातृत्व प्राप्त होने से पूर्व दूध के स्राव को रोकता है। एड्रीनल ग्रंथियां जोड़े के रूप में दायें-बायें अवस्थित हैं। अन्य सभी ग्रंथियों की अपेक्षा सबसे अधिक स्राव एड्रीनल करती है। यह करीब तीन दर्जन प्रकार के स्राव करती है, जिनमें अनेक स्राव जीवन के लिये अनिवार्य होते हैं। यह यकृत, लीवर, गॉलब्लडर, पाचन, रस तथा पित्त के निर्माण कार्यों में संतुलन बनाये रखती है। इसके दो प्रकार हैं- (अ) एड्रीनल कार्टेक्स और (ब) एड्रीनल मेड्यूला।57(ग) ग्रंथि के ऊपरी भाग में स्थित-ग्रंथि को एड्रीनल कार्टेक्स कहते है। इससे तीन प्रकार के स्राव निकलते हैं। इनका संयुक्त नाम है 'ऐड्रीनोकोर्टिकल हार्मोन्स। कार्टेक्स के स्राव मस्तिष्क तथा प्रजनन-अवयवों के स्वस्थ विकास को प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनसे मानसिक एकाग्रता तथा शारीरिक सहनशीलता का विकास बढ़ता है। मस्तिष्क और एड्रीनल कार्टेक्स में घनिष्ठ सम्बन्ध है। मस्तिष्क का संतुलित विकास एड्रीनल कार्टेक्स की स्वस्थता पर निर्भर है। एड्रीनल मेड्युला एड्रीनल ग्रंथियों के अन्दर की तरफ़ अवस्थित है। मेड्यूला दो महत्त्वपूर्ण हार्मोन्स का स्राव करती हैं(अ) एपीनेफ्रीन और (ब) नोर एपीनेफ्रीन (नोर एड्रेनलिन)। भय, दर्द, निम्न रक्तचाप, भावनात्मक उद्वेग आदि स्थितियां इन होर्मोन के उत्तेजन में निमित्त बनती हैं। नोर एपीनेफ्रीन स्नायविक संचार-माध्यम का कार्य भी करता है। एड्रीनल मेड्युला का समग्र क्रिया-कलाप अनुकम्पी नाड़ी-तंत्र से सम्बन्ध रखता है। एड्रीनलिन ज्यों ही रक्त में प्रवेश करता है, नाड़ी-तंत्र के तनाव और शारीरिक बल में असामान्य वृद्धि होती है। हृदय की धड़कन, रक्तचाप और शरीर में तापमान की वृद्धि होती है। यकृत में ग्लायकोजन का ग्लुकोज में रूपान्तरण, श्वासनली के स्नायुओं के कार्यों में वेग आदि कार्य भी एड्रेनलिन करता है। इस प्रकार उत्तेजना, भय, क्रोध आदि की तीव्र स्थितियों में एड्रेनलिन संग्रहित करने वाले भंडार रिक्त हो जाते हैं। एड्रीनलिन के अभाव में अनिर्णायकता, चिन्तातुरता, रोने की अधिक प्रवृत्ति बन जाती है। क्रिया और शरीर - विज्ञान 349
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy