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________________ (5) निग्ध स्पर्श-चिकना (6) रूक्ष स्पर्श-रूखा (7) शीत स्पर्श- ठंडा (8) उष्ण स्पर्श- गरम 13. अगुरू-लघु नाम-कर्म- इसके उदय से शरीर न सम्भल सके, वैसा भारी भी नहीं, और हवा में उड़ जाये, वैसा हल्का भी नहीं होता। 14. उपाघात नाम-कर्म- इस कर्म के उदय से विकृत बने हुए अपने ही अवयवों से जीव क्लेश पाता है, आत्म-हत्या करता हैं। 15. पराघात नाम-कर्म- इसके उदय से जीव प्रतिपक्षी और प्रतिवादी द्वारा अपराजेय होता हैं। 16. आनुपूर्वी नाम-कर्म-विश्रेणी-स्थित जन्म - स्थान का हेतुभूत कर्म - (i) नरक आनुपूर्वी नाम (iii) तिर्यञ्च आनुपूर्वी नाम (ii) मनुष्य आनुपूर्वी नाम (iv) देव आनुपूर्वी नाम 17. उच्छ्वास नाम कर्म- इसके उदय से जीव श्वास - उच्छ्वास लेता हैं। 18. आतपनाम- इस कर्म के उदय से शरीर में से उष्ण प्रकाश निकलता हैं।89 19. उद्योत नाम-कर्म- इसके उदय से शरीर से शीत प्रकाश निकलता है°0 20. विहायोगति नाम कर्म- इसके उदय से जीव की चाल पर प्रभाव पड़ता हैं। (i) प्रशस्त विहायोगति - अच्छी चाल (ii) अप्रशस्त विहायोगति - खराब चाल 21. त्रस नाम कर्म- इसके उदय से जीव (इच्छापूर्वक गति करने वाले) होते हैं 22. स्थावर नाम कर्म- इसके उदय से जीव स्थिर (इच्छापूर्वक गति नहीं करने वाले) होते हैं। 23. सूक्ष्म नाम कर्म- इस कर्म के उदय से जीव को सूक्ष्म (अतीन्द्रिय)शरीर मिलता है। 24. बादर नाम-कर्म- इस कर्म के उदय से जीव को स्थूल शरीर मिलता हैं। 25. पर्याप्त नाम कर्म- इसके उदय से जीव स्वयोग्य पर्याप्तियां पूर्ण करते हैं। 26. अपर्याप्त नाम कर्म- इसके उदय से जीव स्वयोग्य पर्याप्तियां पूर्ण नहीं करते। 168 अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया
SR No.032421
Book TitleAhimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaveshnashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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